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वनकर्मचारियों पर भारी माफियाओं के मंसूबे

छह माह में हुए 12 से अधिक बड़े जानलेवा हमले

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250 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी हुए घायल

भोपाल। जंगलों की सुरक्षा में तैनात वन अमले और वन माफियों के बीच संघर्ष अब हर दूसरे दिन की बात हो गई है। प्रदेश में यह संख्या लगातार बढ़ रही है। बीते 6 माह में दर्जन भर से अधिक हुई बड़ी घटनाओं जहां आम जनता के साथ प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया है। बावजूद इसके कम लोगों को पता होगा कि 17 वन रेंजों में इस दौरान 18 हजार से अधिक वन अपराध हुए है। जबकि अवैध कटाई, अतिक्रमण और अवैध परिवहन से जुड़े हुए यह प्रकरण माफियाओं द्वारा की गई मारपीट और हमले से इतर हैं।
दरअसल विदिशा के शमशाबाद में शनिवार सामने आई घटना के बाद वन विभाग और सरकार की व्यवस्था एक बार फिर कटघरे में खड़ी हो गई है। यहां के जीरापुर क्षेत्र में भूमि को अतिक्रमणमुक्त करा रहे वनकर्मचारियों को हमलाकर घायल कर दिया। लटेरी घटना के करीब 9 माह बाद इसे जिले की दूसरी बड़ी घटना माना जा रहा है। जबकि बैखौफ होकर माफियाओं ने हमला किया और प्रबंधन की व्यवस्थाओं के कारण अमले को मुंह की खानी पड़ी है। जबकि इसके पहले भी प्रदेश के बुरहानपुर में भूमि मुक्त कराने में प्रशासन और शासन असहाय नजर आ चुका है। क्योंकि अतिक्रमणकारियों के तादात और हमले के संसाधनों में सुमार तीर, गोफन और कुल्हाड़ी डंडे के मुकाबले वन कर्मचारी संसाधन विहीन है। आधुनिक संसाधनों के अभाव में न तो वह अपने शरीर की रक्षा कर पा रहे हैं और नही हथियारों के अभाव के चलते अपराधियों में भय पैदा करने में सक्षम है। लिहाजा अतिक्रमण, अवैध कटाई और अवैध परिवहन के मामले लगातार बढ़े हैं।

भयभीत हो रहे हैं कर्मचारी
प्रदेश में आये दिन वन माफियाओं के हमले से वन अमला भयभीत है। मप्र वन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडेय की माने तो इस स्थिति के लिये सबसे ज्यादा जिम्मेदार वन प्रबंधन और सरकार जिम्मेदार है। अतिक्रमणकारियों को पोषित करने की मंशा को देखते हुए विरोध में वन कर्मचारी हथियार जमा करा चुका है। क्योंकि उसके पास इन्हें चलाने का अधिकार नहीं है। सिर्फ डंड़े के सहारे पर जंगल की सुरक्षा में जोखिम उठा रहा है। चिंता जनक बात यह है कि विरोध के बाद भी सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है।

अतिक्रमणकारियों की चपेट में 4 वृत्त
प्रदेश के 17 वृत्तों में 4 वृत्त अतिक्रमणकारियों की चपेट में है। इनमें राजधानी भोपाल भी शामिल है। इसके अलावा दर्ज प्रकरण के अनुसार सबसे ज्यादा संवेदनशील खंडवा को माना जा सकता है। यहां कुल 42 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इसके बाद 30 मामलों के कारण उज्जैन और ग्वालियर के नाम भी शामिल है। अवैध परिवहन की दृष्टि से शहडोल और शिवपुरी जैसे वनवृत्त संवेदनशील हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े
वृत्त –17
कुल प्रकरण –18001
अवैध कटाई –15526
अवैध शिकार –202
अतिक्रमण –246
अवैध परिवहन –386
अवैध उत्खनन– 276
अग्नि प्रकरण –1254
आंकड़े: 1 जनवरी 2023 से 18 जून 2023

राजनीति कर रही जंगलों का नुकसान
सेवानिवृत्त भारतीय वन सेवा के अधिकारी आजाद सिंह डबास की माने तो जंगलों का सबसे ज्यादा नुकसान राजनीति ने किया है। यही कारण है कि वन क्षेत्र में जहां अतिक्रमण की घटनाएं बीते दिनों में बढ़ी है। वहीं अपराधियों के हौसले भी बुलंद हुए हैं। जान की सुरक्षा के लिये इन अधिकारी-कर्मचारियों को समझौतावादी बनने में देर नहीं लगेगी। इसका सीधा असर जंगलों में प्रत्यक्षत: दिखाई देगा।

हमले की बड़ी घटनाएं

  • -17 जून 2023 विदिशा के शमशबाद वन रेंज में अतिक्रमणकारियों के हमले से 10 कर्मचारी घायल हुए
  • -28 मई 2023 पन्ना में विश्रामगंज परिक्षेत्र के सरकोहा बीट के गलियारा नाला में अवैध उत्खननकर्ताओं ने वन रक्षक अर्पित चौरसिया के ऊपर कुल्हाडी से हमला किया था
  • -5 जून 2023 पन्ना में ही वन रक्षक इंद्रभान रैकवार बीट प्रभारी अम्हा वन परिक्षेत्र में हमला हुआ
  • -9 मई 2023 शहडोल के ग्राम महुआ टोला में वन भूमि में अतिक्रमणकारिययों ने वन कर्मियों के ऊपर लाठी-डंडे व पत्थर से हमला
  • -1 जून 2023 विदिशा के लटेरी में वन विभाग कर्मचारियों पर लकड़ी चोरों का हमला, तीन कर्मचारी घायल
  • -04 मार्च 2023 बुरहानपुर में 40 से ज्यादा लोगों ने वन विभाग के रेंज ऑफिस में घुसकर तोड़फोड़ कर दी। वनकर्मियों के साथ मारपीट कर चार आरोपियों को छुड़ाकर अपने साथ ले गए।
  • -11 मार्च 2023 बुरहानपुर के ही घाघरला में अतिक्रमणकारियों ने गोफन पत्थरों और तीर से हमला कर दिया। इस घटना में 12 वन कर्मचारी सहित अफसर घायल हुए हैं।

अक्सर चर्चाओं में रहे यह क्षेत्र
खंडवा, खरगोन और बड़वानी जिले से आकर लोग अतिक्रमण कर रहे हैं। विदिशा, गुना, पन्ना, सतना, भिंड, मुरैना के साथ ग्वालियर क्षेत्र वनमाफियाओं के कारण चर्चाओं में रहे हैं।

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