मध्य प्रदेश

IPS अफसरों के तीन दर्जन से ज्यादा पद खाली, एसपीएस अफसर चाहते हैं तैनाती

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भोपाल

आईपीएस अवार्ड होने में प्रदेश के राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) के अफसरों के देश के अन्य प्रांतों से पिछड़ने के बाद अब यह मांग तेजी से उठ रही है कि उन्हें आईपीएस वाले पदों पर तैनाती दी जाए। प्रदेश में आईपीएस अफसरों के तीन दर्जन से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। इन पदों पर एसपीएस के सीनियर अफसर वन टाईम एग्जेम्प्शन के तहत पदस्थापना चाहते हैं। इस संबंध में एक मांग पत्र राज्य पुलिस सेवा संगठन ने तैयार किया है, जो सभी प्रमुख लोगों को दिया जाने वाला है। इस मांग पत्र में यह मांग की जाएगी कि वन टाईम एग्जेम्प्शन राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को दिया जाए, ताकि आईपीएस कॉडर में स्वीकृत सभी पदों को भरा जा सके।

ये चाहते हैं एसपीएस अफसर
प्रदेश में आईपीएस का कॉडर 319 अफसरों का हैं। इनमें 222 डायरेक्टर आईपीएस के हैं, जबकि 97 पद राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस अवार्ड होने वाले अफसरों के हैं। कुल पदों में से 69 पद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए रिजर्व हैं, इसी तरह राज्य के अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति के लिए 43 पद रिजर्व हैं। इसमें से लगभग 38 पद खाली हैं। ऐसे में जो खाली पद हैं उन पर एसपीएस के सबसे सीनियर अफसरों को पदस्थ कर दिया जाए। इसके बाद जैसे-जैसे अफसर रिटायर होते जाएं उनकी वैकेंसी के अनुसार अफसर लिए जाते रहे।

संगठन का मानना है कि इससे आईपीएस का कॉडर भी लंब समय के लिए मैनेज हो जाएगा। इसमें यह भी फायदा हो जाएगा कि बिना आईपीएस बने अफसरों को पद मिल जाएंगे, इसमें वे अफसर भी एडजस्ट हो जाएंगे जो उम्र के बंधन के कारण अब आईपीएस नहीं बन सकते हैं।

25 साल की नौकरी और अब तक है एएसपी
राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को आईपीएस बनने के लिए अब लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। प्रदेश में स्थिति यह हो गई है कि वर्ष 1997 में डीएसपी बने अफसर 25 साल की नौकरी के बाद भी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ही बने हुए हैं। प्रदेश में वर्ष 2012 तक के अफसर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बन चुके हैं।

केंद्र की अनुमति के बिना नहीं संभव
बताया जाता है कि यह जो मांग है वह प्रदेश सरकार के लिए टेढी खीर साबित हो सकती है। आईपीएस अफसरों के खाली पदों पर राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को तैनात किए जाने की अनुमति केंद्र से लेना होगी। इसके लिए राज्य से प्रस्ताव भेजा जाए तब जाकर इस पर केंद्र विचार कर सकता है। उसमें भी वह यह तय करेगा कि ऐसा करना भी या नहीं।

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