लव जिहाद के साथ लैंड जिहाद की चपेट में मप्र
उत्तराखंड की तरह मप्र में भी अभियान चलाने की जरूरत

भोपाल। लैंड जिहाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर उत्तराखंड सरकार जहां इन दिनों देश भर में चर्चाओं का विषय बनी हुई है, वहीं मप्र में इस मामले पर चर्चा तक नहीं हो रही है। जबकि लव जिहाद के चपेट में रहा भोपाल भी इससे अछूता नहीं है। मजार और मस्जिद के नाम पर शहर में किये गए कब्जे को यदि दरकिनार भी कर दिया जाय तो राजधानी से सटे ग्रामीण इलाके में ही वर्ग विशेष द्वारा जबरिया कब्जाई गई भूमि का रकबा हजारों एकड़ तक चला जाता है। हैरत की बात यह है कि रहने और खेती के नाम पर वर्षों से चल रहे सुनियोजित षडयंत्र के खिलाफ स्थानीय प्रशासन कार्रवाई से डर रहा हैं।
यह स्थित तब सामने आ रही है जबकि राष्ट्रवादी संगठन उत्तराखंड सहित दूसरे राज्य सरकारों द्वारा की जा रही कार्रवाई का हवाला कब्जाई गई भूमि को खाली कराने की लगातार मांग कर रहे हैं। इनमें विश्वहिन्दूपरिषद भी शामिल है।
जबकि इसके द्वारा जुटाई गई जानकारी इसलिये भी चौकाने वाली है क्योंकि मप्र में ही करीब 85 हजार से अधिक शाासकीय भूमियों पर सामूहिक कब्जे की बात सामने आई है। इनमें भोपाल शहर के भीतर ही सबसे अधिक 235 कब्जे उजागर हुए हैं। हालांकि यह मजार और दरगाह के नाम पर किये गये हैं। बावजूद इसके शहर से सटे ग्रामीण इलाकों में सामूहिक रूप से कब्जाई गई भूमियों का रकबा हजारों एकड़ तक पहुंच रहा है। यह भूमियां राजस्व और वन विभाग की बताई जा रही हैं। मजेदार बात यह है कि प्रशासन को इसकी जानकारी ही नहीं है। यही कारण है कि भोपाल कलेक्टर आशीष सिंह कहते हैं हम वस्तुस्थिति का पता लगाएंगे।
वही विश्वहिन्दू परिषद के प्रांत प्रचार प्रमुख जितेंद्र सिंह चौहान कहते है कि प्रदेश में शासन व प्रशासन के सहयोग से यह लैंड जिहाद चल रहा है। जिसका मकसद हिन्दू आबादी पर दबाव बनाना है। हम कई बार इस संबंध में चेता चुके हैं। बावजूद इसके अब तक किसी की आंखे नहीं खुली हैं।
पहले कब्जा फिर मूलभूत सुविधाओं की मांग
राजधानी के ग्रामीण इलाकों से सटे रायसेन रोड़ की हरीपुरा गांव, इंदौर हाइवे पर स्थित अरवलिया, ईटखेड़ी स्थित पहले इस्लामपुरा अब जगदीशपुर ही नहीं दौलतपुरा, केकड़िया और समशगढ़ में जमकर जमीनों पर कब्जा किया गया है। इनमें अरबलिया गांव की आबादी 2500 के आस-पास पहुंच गई है। अब यह आबादी का हवाला देकर प्रशासन पर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का दबाव बना रहे हैं।
लैंड जिहाद की चपेट में प्रदेश के यह जिले
लैंड जिहाद में राजधानी के अलावा प्रदेश के करीब एक दर्जन से अधिक जिले चपेट में है। इनमें रायसेन का मुरवारा और विदिशा के सिंरोज का लटेरी भी शामिल है। तालाब की भूमि पर दरगाह बनाने को लेकर राजगढ़ के ब्यावरा का मामला भी जहां सुर्खियां बटोर चुका है। वहीं हिन्दुओं के शमशान की भूमि पर कब्जे को लेकर धार की सर्वे नबंर 406 व 407 की भूमि लंबे समय तक चर्चाओं में रहा है। जबकि गुना, छतरपुर और खंडवा भी लैंड जिहाद की चपेट में बताए जा रहे हैं।
भूमि पर कब्जे की यह रणनीति
राजधानी के हरिपुरा गांव की लगभग 200 एकड़ भूमि पर कब्जा करने वाले वर्ग विशेष के लोगों को लेकर स्थानीय रहवासियों का कहना है कि करीब 10 साल पहले सिर्फ एक परिवार रहने के लिये आया था। अब यहां बनाये गए करीब 50 घरों की आबादी बढ़कर 400 हो गई हैं। कमोबेश यही हाल अरबलिया का भी है। यहां की 170 एकड़ सरकारी जमीन पर बीते सालों में करीब 250 घर बन गये हैं। आबादी जानकर होश इसलिये भी होश उड़ जाएंगे कि इनमें करीब 2300 लोग रह रहे हैं। जगदीशपुरा की बात करें तो यहां इन लोगों ने पुरातत्व महत्व की धरोहर रानी कमलापति के महल के मुख्य दरवाजे पर मजार बना दी गई है। इसके आसपास की करीब 50 घर बनाकर रहने लगे हैं। यह खेती भी करने लगे हैं। जबकि इसके पहले राजधानी के खुशीलाल आयुर्वेदिक अस्पताल के पीछे कलियासोत डेम से सटी भूमि पर रातो रात मजार बनने की खबर ने लोगों को चौका दिया था। इसके अलावा कोकता का दौलतपुरा में तो शासकीय जमीन को वर्ग विशेष के लोग प्लाटिंग कर बेंचने से बाज नहीं आए हैं।
कैसे हो रही है जनजातीयों की जमीनों की रजिस्ट्री
राजधानी से करीब 20 किमी दूरी केकड़िया गांव में भी यही हाल है पर तरीका अलग है। बताया जाता है कि यहां लगातार मुस्लिम समुदाय के लोग जमीनों पर जहां कब्जा करवा रहे हैं। इनमें बादशाह मिया और आमिर मियां का नाम अहम है। आमिर ने जहां 25 एकड़ वन भूमि पर कब्जा कर लिया है। वहीं दूसरी ओर बादशाह पर जबरिया जनजातीय परिवारों की जमीने खरीदने के आरोप लग रहे हैं।
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