साल की सबसे बड़ी एकादशी, पूजा- पाठ करते समय इन 10 बातों का रखें विशेष ध्यान

31 मई बुधवार को साल की सबसे बड़ी एकादशी यानी निर्जला एकादशी मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में इस व्रत का काफी महत्व है. इस व्रत को करने से साल भर की सभी एकादशीयों के व्रत का पुण्य हमें मिलता है. इसी वजह से यह व्रत काफी अहम हो जाता है. निर्जला एकादशी से जुड़ी हुई कुछ खास बातों की हमें जानकारी होनी चाहिए. आज की इस खबर में हम आपको इन्हीं बातों की जानकारी देंगे.
निर्जला एकादशी व्रत से जुड़ी कुछ अहम बातें
- निर्जला एकादशी के दिन शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाकर चंदन का लेप करें. शिवलिंग का श्रृंगार विप्लव पत्र व हार फूल से करें.
- निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है, इस व्रत से साल भर की सभी एकादशीयों के बराबर का पुण्य मिलता है.
- निर्जला एकादशी का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है. इस दिन अन्न और पानी का सेवन नहीं करना चाहिए, तभी आपको इस व्रत का पूरा फल मिलता है.
- अभी गर्मी के समय में दिनभर भूखे प्यासे रहना मुश्किल है, इसी वजह से यह व्रत किसी तपस्या से कम नहीं है.
- किसी मंदिर में या किसी अन्य सार्वजनिक जगह पर प्याऊ लगाए या किसी प्याऊ में मटके का दान करें.
- पक्षियों के लिए घर के बाहर अन्न, जल आदि जरूर रखें.
- जो लोग दिन भर भूखे प्यासे नहीं रह सकते, उन्हें फल और दूध का सेवन करना चाहिए. एकादशी व्रत करने वाले लोग एकादशी पर सुबह जल्दी उठे और स्नान के बाद घर के मंदिर में पूजा करें.
- महाभारत के समय महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को एकादशी के व्रत का महत्व बताया था. इस समय भीम ने वेदव्यास जी से कहा था कि मैं तो भूखा ही नहीं पाता हूं तो मुझे एकादशी व्रत का फल कैसे मिल सकता है. व्यास जी ने भीम को बताया था कि निर्जला एकादशी के व्रत से साल भर की सभी एकादशीयों का पुण्य कमाया जा सकता है.
- निर्जला एकादशी को पांडव और भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, महाभारत के समय में भीम ने भी इस एकादशी का व्रत किया था.
- एकादशी के दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व होता है.
- जो भी लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें व्रत उपासना के दौरान ही भगवान विष्णु जी के मंत्र का जप भी करना चाहिए.
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