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बीमार चला रहे मप्र का मंत्रालय

इलाज के नाम पर 3 साल में जिम्मेदारों ने निकाल लिया 30 करोड़

भोपाल। प्रदेश का बीमार चला रहे है। आश्चर्य सी लगने वाली इस बात की पुष्टि के लिये यह तथ्य पर्याप्त मान सकते है कि बीते 3 सालों में यहां कार्यरत जिम्मेदारों ने इलाज के नाम पर सरकार से 30 करोड़ रूपये निकाल लिये हैं। जबकि यहां पर नियमिति अधिकारी-कर्मचारियों की संख्या 1500 से अधिक नहीं है। इसके बाद अधिकारी-कर्मचारी पर खर्च हुई राशि का औसत आंकड़ा 2 लाख तक पहुंच जाता है।
   मामले का खुलासा चौरई विधायक चौधरी सुजीत मेर सिंह के सवाल से हुआ। हालांकि सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से सवाल का जबाव अनुत्तरित है। बावजूद इसके विधायक का कहना है कि 1 जनवरी 2020 से 31 अक्टूबर 2022 के बीच ही 29 करोड 46 लाख 24 हजार 226 रूपये के चिकित्सकीय भत्ते मंत्रालय में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा प्राप्त किये गये हैं। जबकि जानकारी 1 अप्रैल 2019 से मांगी गई थी। जानकारी के मुताबिक करीब 1500 अधिकारी-कर्मचारियों वाले इस संस्थान में करीब 800 से अधिक लोग ऐसे हैं, जिन्होंने 25 हजार से अधिक की राशि प्राप्त कर चुके हैं। विधायक ने इस मामले में जांच की मांग की है। क्योंकि एक कर्मचारी ने प्रतिवर्ष औसतन 66 हजार रूपये का लाभ लिया है।

जल संसाधन विभाग के मामले में हो चुकी है कार्रवाई
प्रदेश के जल संसाधन विभाग में लगभग 10 वर्ष पूर्व सामने आए इस तरह के मामले में सरकार कार्रवाई कर चुकी है। क्राइम ब्रांच की विवेचना के बाद जिला न्यायालय में 19 कर्मचारियों के विरूद्ध आरोप पत्र पेश किया गया था। न्यायालय द्वारा इस मामले में आरोपियों को 03 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 10 कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया गया था। वहीं सेवानिवृत्त  के बाद भी 09 कर्मचारियों की पेंशन रोक दी गई थी।

सवाल के बाद मचा हडकंप
करोड़ो के इस चिकित्सा भत्ते से जुड़े मामले के उजागर होने के बाद मंत्रालय में हडकंप की स्थिति है। यह बात अलग है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने अभी जांच कराने का निर्णय लिया है। बावजूद इसके विभागीय सूत्र बताते हैं कि कागजी खानापूर्ति में जरूर जुट गया है। क्योंकि जांच की आंच के दायरे में कर्मचारियों के अलावा कई अधिकारी भी आ सकते हैं।

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