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छत्तीसगढ़

शिविर में रामकथा नजर आ रही अलग-अलग शैलियों में

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रायपुर

आदिवासी लोक कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद ओर से राम कथा पर आधारित 9 दिवसीय चित्र कला शिविर जारी है। यहां 18 जनवरी तक रोजाना सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक कला वीथिका महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर रायपुर में देश की विविध लोक एवं आंचलिक शैलियों में पारंगत चित्रकार अपनी कला के माध्यम से राम कथा को प्रदर्शित कर रहे हैं।

शिविर में उडिया पट्ट, चेरियल पट्टम, गंजीफा, मधुबनी, चित्रकथि एवं पटुआ जैसी शैलियों में प्रहलाद महाराणा, विनय कुमार, रघुपति भट्ट, शांति देवी झा, चेतम गंगावणे, मोनी माला, बनमवर महापात्र एवं कुमकुम झा जैसे प्रसिद्ध चित्रकार रामकथा में रंग भर रहे हैं। आयोजन के संबंध में आदिवासी लोक कला अकादमी के अध्यक्ष नवल शुक्ला ने कहा कि उनका प्रयास देश भर की अलग-अलग शैलियों में चित्रित की जाने वाली रामकथा का संग्रह छत्तीसगढ़ में कर सकें। इस दिशा में प्रयास जारी है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन उस श्रृंखला का हिस्सा हैं, जिसके अंतर्गत पूरी रामकथा चित्रित करवाई जाएगी। जिसमें रामकथा के अलग-अलग कांड व घटनाओं को शामिल किया जाएगा। जिससे भविष्य में छत्तीसगढ़ में देश का एक वृहद रामकथा संग्रहालय बनाने योजना को अमली जामा पहनाया जा सके। यहां शिविर में शामिल कलाकारों में से कुछ ने अपनी चित्रकला शैलियों पर बात की।

पश्चिम बंगाल मिदनापुर की चित्रकार मोनी माला राम कथा व अन्य लोक कथाओं व सामाजिक सामाजिक कथाओं पर चित्रों का निर्माण पटुआ शैली में करती हैं। यहां वह वनवास के समय राम और लक्ष्मण के वन में अपनी कुटिया के पास व्याकुल सीता के दर्शन के लिए दिखाई दे रहे हैं। यहां वह रावण द्वारा सीता हरण के दृश्य को व उसकी कथा को दशार्ते हुए भी चित्र का निर्माण कर रही हैं।मोनी माला के बनाए पटुआ शैली के चित्र न सिर्फ भारत के बाहर भी प्रदर्शित हैं। स्वयं मोनीमाला भी हंगरी व जर्मनी जैसे स्थानों पर अपनी कला प्रदर्शित कर चुकी हैं। मोनी माला ने बताया कि व मिदनापुर व कोलकाता के आसपास कला शिविर आयोजित कर रोजगार भी प्रदान करती रही हैं।

राम कथा चित्र में उनकी कई सारी श्रृंखलाएं हैं राम वन गमन ,राम की वापसी अयोध्या में और रावण के साथ लंका युद्ध के दृश्य वह अपने पटुआ शैली के माध्यम से बनाती हैं पर्यावरण मित्रता को दशार्ता एक चित्र पेड़ लगाओ अभियान पर भी पटवा शैली में तैयार किया गया है जो कि 2 फीट गुन,14 फीट के कैनवास पर हस्तनिर्मित कैनवास पर बनाया गया है।

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