मॉस्को
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुए अगले महीने एक साल पूरे हो जाएंगे। शुरुआत में जिस यूक्रेन को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन काफी हल्के में ले रहे थे, उसी ने बीते कई महीनों के युद्ध में रूस को नाको चने चबवा दिए। लगभग सालभर तक युद्ध के खिंचने की वजह से रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भी आलोचना होने लगी है। अब रूस में एक नेता का तेजी से उभार हो रहा और संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में वह पुतिन की जगह ले सकता है। यह नेता कोई और नहीं, बल्कि पुतिन के 'शेफ' कहे जाने वाले येवगेनी प्रिगोज़िन हैं।
येवगेनी के बारे में अटकलें हैं कि वह पुतिन के उत्तराधिकारी हो सकते हैं। सेंट पीटर्सबर्ग के 61 वर्षीय मूल निवासी कट्टरपंथियों के बीच भारी समर्थन हासिल कर रहे हैं। ये कट्टरपंथी मानते हैं कि वृद्ध पुतिन उन्हें विफल साबित कर रहे हैं। इसके अलावा भी कई संकेत मिले हैं, जिससे पता चलता है कि येवगेनी जिन्हें पुतिन के करीबी के रूप में भी माना जाता है, वे अधिक शक्ति हासिल करने की कोशिश में हैं। 61 वर्षीय येवगेनी ने युद्ध के मैदान में मॉस्को को मिल रही असफलताओं को लेकर रूस के रक्षा मंत्रालय और उसके प्रमुख सर्गेई शोइगू की खुले तौर पर आलोचना की है। उन्होंने युद्ध में मिल रही हार के लिए शोइगू को जिम्मेदार ठहराया है और दावा किया है कि उन्होंने रूसी सेना को मैदान में पीछे हटने के लिए छोड़ दिया।
पिछले कुछ दिनों में ऐसी खबरें भी सामने आई हैं कि पुतिन काफी बीमार हैं। कुछ रिपोर्ट्स में पुतिन के पर्किसंस से लेकर कैंसर तक से पीड़ित होने के दावे होते रहे हैं। इससे भी संकेत मिल रहे हैं कि येवगेनी प्रिगोज़िन रूसी राष्ट्रपति की रेस की लाइन में हो सकते हैं। युद्ध के दौरान भले ही रूस ने यूक्रेन के कई शहरों को मिसाइल अटैक्स में तबाह कर दिया हो, लेकिन अब भी सवाल है कि इतने महीने बीत जाने के बाद भी रूस को जीत क्यों नहीं मिल सकी। इसकी वजह से पुतिन की जगह किसी और को पद दिए जाने की मांग भी उठने लगी। इसमें प्रिगोज़िन प्रमुख च्वाइस के रूप में उभरे हैं।
पुतिन की तरह ही सेंट पीटर्सबर्ग में पले-बढ़े
प्रिगोजिन के बचपन या शुरुआती जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी है। यह बताया गया है कि वह पुतिन की तरह ही सेंट पीटर्सबर्ग में पले-बढ़े। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, प्रिगोजिन को 1981 में मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी का दोषी ठहराए गए थे और 13 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन सोवियत संघ के पतन के नौ साल बाद रिहा कर दिया गया था। वह जब जेल से बाहर आए तो सबसे पहले उसने बिजनेस शुरू करने का फैसला लिया। पहले हॉटडॉग स्टॉल लगाया और फिर एक रेस्टोरेंट की स्थापना की। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ डॉक की गई नाव पर एक रेस्टोरेंट खोला और वह जल्द ही सफल हो गया और सेंट पीटर्सबर्ग का सबसे फैशनेबल डाइनिंग स्पॉट बन गया।
इसलिए मिला पुतिन के रसोइए का नाम
पुतिन ने साल 2001 में फ्रांस के राष्ट्रपति जैक शिराक और उनकी पत्नी और 2002 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की मेजबानी की। पुतिन ने 2003 में वहां अपना जन्मदिन मनाया। इस दौरान रेस्टोरेंट में प्रिगोजिन आसपास ही रहते थे और वहीं से वे पुतिन की नजरों में आ गए। कभी-कभी प्रिगोजिन ने खुद ही प्लेटों को भी साफ कर दिया। प्रिगोजिन ने सेंट पीटर्सबर्ग पत्रिका गोरोड 812 को बताया, "राष्ट्रपति ने देखा कि कैसे मैंने एक कियोस्क से अपना व्यवसाय शुरू किया।" पुतिन के साथ अच्छी तरह से कॉन्टैक्ट होने के बाद प्रिगोजिन ने कॉनकॉर्ड कैटरिंग की शुरुआत की और फिर वहां से उन्हें रूस के स्कूलों और सेना को खाना खिलाने के लिए सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स भी प्राप्त होने लगे। उन्हें राज्य भोज की मेजबानी करने का भी अवसर मिला। इसके बाद से ही उन्होंने पुतिन के रसोइए का नाम दिया गया। एक रिपोर्ट की मानें तो पिछले पांच सालों में प्रिगोजिन को 3.1 बिलियन डॉलर के सरकारी कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त हुए हैं।
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