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भविष्य की जल चुनौतियों से निपटने गंभीर हो राज्य

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वॉटर विजन 2047 समारोह के समापन पर शेखावत ने कहा
-वॉटर विजन का लक्ष्य साथ मिलकर हासिल करना हमारा उद्देश्य

भोपाल। भविष्य में जल चुनौतियों से निपटने में राज्य गंभीरता दिखाएं। यह कहना है केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का। वह वॉटर विजन 2047 के तहत प्रथम अखिल भारतीय राज्य मंत्रियों के सम्मेलन के दूसरे दिन समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। आयोजन को सफल बताते हुए उन्होंने कहा कि वॉटर विजन का लक्ष्य साथ मिलकर हासिल करना ही हमारा उद्देश्य है। इस अवसर पर केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
   इसके पहले जल सम्मेलन को लेकर उनका कहना था कि भविष्य के मद्देनजर पानी की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो सके, इस बारे में गहन मंत्रणा हुई है। अलग-अलग सत्रों में जुटे राज्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों की जरूरत तथा भविष्य की आवश्यकता को यहां प्रमुखता से रखा है। चूंकि यह विषय राज्यों का है। इसलिये भविष्य की आसन्न चुनौतियों को समझते हुए इस पर गंभीर होने की जरूरत है। इसलिये सभी राज्यों को सहकारिता संगठन बनकर काम करने की पहल करनी चाहिये। इस सम्मेलन के बाद राज्यों के बीच एक दूसरे के साथ काम करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। इसमें जल के साथ जमीन, जलवायु, जंगल भी शामिल है। प्राकृतिक संसाधनों को परिपुष्ट करने आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने इसमें जन सहभागिता की जरूरत बताते हुए कहा कि तभी हम भावी पीढ़ी को संतुलित जीवन देने में अपनी उपयोगिता साबित कर पाएंगे।

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पुर्नचक्रित जल के पुन: इस्तेमाल की आवश्यकता
समापन समारोह के बाद मप्र के जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट की मौजूदगी में मीडिया से चर्चा करते हुए श्री शेखावत ने पुर्नचक्रित जल के पुन: इस्तेमाल की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना था कि पानी कभी गंदा नहीं होता है। इसकी बूंद-बूंद का उपयोग जरूरी है।

फिलहाल पानी की गुणवत्ता पर जोर
यहां हुए योजना और पांच विमर्श सत्रों में पानी से जुड़े अलग-अलग समस्याओं एवं उसके समाधान पर चिंतन हुआ। जिसमें पानी की गुणवत्ता पर अहम चर्चा हुई।  इसके अलावा 2047 को लक्ष्य को ध्यान में रखकर जल के विषय में कैसे काम करना है, इसका भी प्राथमिक खाका तैयार करने की कोशिश की गई।  इसके अलावा जल की कमी, अधिशेष जल और पहाड़ी क्षेत्रों में जल सुरक्षा, अपशिष्ट जल व जल के पुन: उपयोग सहित जल उपयोग दक्षता में बढ़ोतरी, वॉटर गवर्नेंस के साथ ही जलवायु परिवर्तन अनुकूल जल अवसंरचना के विषय पर भी मंथन किया गया है।

इन चुनौतियों पर भी विमर्श
-पानी राज्य का विषय है इसलिए राज्यों की यह जिम्मेदारी है कि वे इस चुनौती से निपटने की दिशा में काम करें।
-जल भंडारण क्षमता बढ़ाने की जरूरत
-तलछट भविष्य में मुसीबत बन सकती है। इसलिये इस पर काम की आवश्यकता
-तलछत के मुद्रीकरण रोकना है
-बांधों का अच्छी तरह से उपयोग करने पर जोर श्
-सभी राज्यों को सहकारिता संगठन बनकर काम करने की जरूरत है

सूक्ष्म सिचाई योजनाओं की जरूरत
जल प्रबंधन के दृष्टिगत देश में सूक्ष्म सिचाई परियोजनाओं की जरूरत बताई गई है। इसका अनुकरण प्रत्येक राज्य को करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। प्रदेश की मोहनपुरा सिंचाई परियोजना को उदाहरण के रूप में माना गया है। इसके अलावा पानी की गुणवत्ता और उपलब्धता बढ़ाने तकनीकि के इस्तेमाल को जरूरी बताया गया है। वाटर अथॉरिटी बॉडी बनाई जाना चहिए। आज भी  दुनिया में भू जल की उपयोगिता सबसे ज्यादा है।

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