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मंदिर के नामांतरण में बाधा बने कलयुगी गोविंद!

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-महंत ने लगाया आरोप, दी आत्महत्या की चेतावनी

भोपल। मंदिर के नामांतरण में प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह बाधा बने हैं। यह आरोप लगाते हुए जगदीशदास ने आत्महत्या की चेतावनी दी है। वह रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में बोल रहे थे। उनका कहना था कि मंत्री के दबाव में एसडीएम नामांतरण नहीं कर रहे है। जबकि सिविल न्यायालय मंदिर के पक्ष में फैसला सुना चुका है।
   इसके बाद सागर जिले के ग्राम बरखेड़ा महंत एवं ग्राम चकेरी स्थित श्री जानकीरमण मंदिर की जमीन विवाद से जुड़ा मामला एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। क्योंकि सिविल न्यायालय द्वारा पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद भी राजस्व विभाग घोषित किये गये भू-स्वामी का नाम इंद्राज नहीं कर रहा है। एसडीएम सपना त्रिपाठी और मंत्री के भाई व जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह पर भी आरोप लगाये हैं। हालांकि इसके बाद हीरासिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है। बावजूद इसके महंत का सवाल मुंह बाएं खड़ा है कि आखिर बीते दो साल से नामांतरण का मामला लंबित क्यों है।

2019 में दिया था आवेदन
महंत जगदीशदास ने बताया है कि  वर्ष 2019  में नामांतरण को लेकर आवेदन किया गया था। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं की गई। जानकीरमण मंदिर बरखेड़ा श्री वशिष्ठ भवन अयोध्या धाम का है। रामवल्लभ वैदांती के नाम नामांतरण रिकॉर्ड  में पंजीबद्ध किया जाए।

विवाद की वजह यह भी
ग्राम बरखेड़ा महंत में देव जानकी रमण मंदिर स्थित है। इसकी लगभग 125 एकड़ जमीन है। भूमि का यह विशाल रकवा ही विवाद की वजह माना जा रहा है। इसके महत्व को देखते हुए 11 जून 2021  को एक धर्म सभा का आयोजन कर ग्रामीण मंदिर के रखरखाव व सरकारी देखरेख में एक कमेटी के गठन का प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। बावजूद इसके अदालत कह चुकी है कि मंदिर का व्यवस्थापक महंत होगा। इसलिये नामांतरण का मामला भी अटका हुआ है।

हीरा की सफाई न मैं न मेरा भाई
इस मामले को लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत ने अपने बचाव में  बयान जारी कर कहा है कि इस मामले में न मैं हूं और न मेरा भाई। परिवार के किसी सदस्य का भी मंदिर की जमीन पर कब्जा नहीं हैै। इस तरह के सभी आरोप निराधार व मनगढंत है। इसका मौके पर जाकर लोग मुआयना कर सकते हैं।

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