अरुणाचल में सभी विधायकों के बाद मणिपुर में जेडी(यू) के 5 MLA बीजेपी में शामिल
इम्फाल
अरुणाचल प्रदेश के बाद अब मणिपुर में भी जनता दल यूनाटेड (JDU) को तगड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को जेडीयू के छह में से पांच विधायक राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी में शामिल हो गए। इसी के साथ प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी विधायकों की संख्या बढ़कर अब 37 पहुंच गई है। विधायकों की ओर से यह कदम पिछले महीने बिहार में बीजेपी और जेडीयू के रास्ते अलग-अलग होने के बाद उठाया गया है। चर्चा थी की बिहार में अलग होने के बाद जेडीयू मणिपुर में एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने की योजना बना रही है।
विधानसभा सचिवालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष टीएच सत्यब्रत सिंह ने जद (यू) के 5 विधायकों- केएच जॉयकिशन, एन सनाते, मोहम्मद अछबउद्दीन, पूर्व पुलिस महानिदेशक ए एम खाउटे और थांगजाम अरूणकुमार के बीजेपी में विलय के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
स्पीकर ने बीजेपी में विलय को किया स्वीकार
मणिपुर विधानसभा के सचिव के मेघजीत सिंह द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि अध्यक्ष ने संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत जदयू के पांच विधायकों के बीजेपी में विलय को स्वीकार करते हुए खुशी जताई है। जदयू ने इस साल मार्च में विधानसभा चुनाव में 38 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें से छह ने जीत दर्ज की थी।
अब्दुल नासिर जेडीयू के अकेले विधायक बचे
पांच विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद लिलोंग विधानसभा क्षेत्र से विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर 60 सदस्यों के सदन में जद(यू) के अकेले विधायक बच गए हैं। जेडी(यू) मणिपुर राज्य इकाई के अध्यक्ष केश बीरेन सिंह ने कुछ दिन पहले इंफाल में कहा था कि पार्टी ने पूर्वोत्तर राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से अलग होने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। केश बीरेन ने यह भी कहा था कि वो 3 और 4 सितंबर को पटना में होने वाले राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात करेंगे।
चुनाव में जेडीयू तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी
इस साल फरवरी-मार्च में हुए मणिपुर विधानसभा चुनाव में जेडी(यू) तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। पहले नंबर पर बीजेपी थी जिसके खाते में 32 सीटें आईँ थी, दूसरे नंबर पर नेशनल पीपुल्स पार्टी जिसने 7 सीटें जीतीं। परिणाम के बाद जेडी(यू) ने पार्टी को मिले जनादेश का सम्मान करने और लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बीजेपी को समर्थन देने का फैसला किया था।
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