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जानिए क्या है यह क्राइंग रूम

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जब हम किसी बात पर दुखी होते हैं या इमोशनल होते हैं तो हमारी आंखों में आंसू आ ही जाते है। लेकिन अक्सर यह कहा जाता है रोना कमजोर होने की निशानी है। पर क्या आप जानते हैं विज्ञान क्या कहता हैं। विज्ञान के अनुसार रोना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है इससे मेंटल स्टिग्मा दूर हो सकता है।

इस बात का ध्यान रखते हुए स्पेनिश कैपिटल मेड्रिड में क्राइंग रूम (crying room) की शुरुआत की गई है। यह ऐसा स्पेस है जहां लोग खुलकर रो सकते हैं। इस प्रोजेक्ट का लक्ष लोगों के दिमाग से सोशल स्टिग्मा को हटाना है। इसके जरिए यह बताया जाता है कि ना तो रोना कमजोर होने की निशानी है ना ही मदद मांगने से आप किसी की नजर में गिरने लगता है।
​क्‍या और कहां है ये क्राइंग रूम

यह स्पेन के सेंट्रल मेड्रिड में है। अगर आप इसके अंदर जाते हैं तो 'आइए' और 'रोईए', 'मैं बहुत परेशान हूं', जैसे शब्द लिखे हुए मिलते हैं। ये इस बात का संकेत है कि रोना बहुत ही सामान्य बात है और इससे आप अपने तनाव को दूर कर सकते है। कमरें के दूसरी तरफ एक फोन लगा हुआ है उसके साथ लिस्ट है जिसमें उन लोगों के नंबर दिए हुए हैं जो यहां पहले आ चुके है। अगर कोई चाहे तो इन लोगों में से किसी से भी बात कर के अपने अनुभव बता सकता है।
क्‍या है भारत का हाल

मेंटल स्टिग्मा सिर्फ स्पेन की समस्या नहीं है। बल्कि पूरा विश्व इस समस्या से जूझ रहा है। भारत में हर 20 में से एक व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार भारत में पूरे विश्व की तुलना में सबसे ज्यादा लोग तनाव से ग्रसित है। शिजोफ्रेनिया, एंजायटी, स्ट्रेस भारत की प्रमुख मेंटल समस्या है। 38 मिलियन भारतीय सिर्फ एंजायटी से परेशान है।

​मेंटल हेल्थ पर बात क्यों जरूरी?

कोविड-19 के दौरान लोगों ने इस पर बात करना ज्यादा शुरू किया है। वैसे मेंटल हेल्थ एक बहुत बड़ी समस्या है इसे बात करने का कोई सही दिन नहीं होता। इसीलिए अगर आप इस समस्या से परेशान है इस पर तुरंत बात करना चाहिए। इस समस्या को तब तक इग्नोर नहीं करना चाहिए जब तक सामने वाला व्यक्ति पूरी तरह से नार्मल ना हो जाए। कई बार लोग इस तरह मेंटल हेल्थ के बारे में बात करने से घबराते हैं और अंदर ही अंदर घुट कर ज्यादा बीमार होने लगते हैं।
​खुल कर रोने के क्या हैं फायदे

खुल कर रोने या अपनी समस्या किसी के सामने खुलकर बताने से आपके तनाव में कमी आती है। आप अंदर से फ्रेश महसूस करने लगते हैं। खुलकर रोने से आपकी भावनाएं नियंत्रित होती है दूसरों का भी भावनात्मक सपोर्ट मिलता है। रोते वक्त हमारे शरीर में ऑक्सीटॉसिन और एंडोर्फिन हार्मोन निकलता है। जो हमारे स्ट्रेस लेवल को कम करने में मदद करता है।

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