मध्य प्रदेश

CM के हेलीकाप्टर को नहीं दी उतरने की इजाजत, जांच के निर्देश

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भोपाल
 उपचुनाव में प्रचार के लिए गए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हेलीकाप्टर को संदिग्ध मानकर जमीन पर उतरने नहीं दिया गया। करीब 15 मिनट तक शिवराज का हेलीकाप्टर हवा में ही घूमता रहा। इससे नाराज सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जांच के आदेश दे दिए हैं।

जब शिवराज सिंह चौहान रैगांव और पृथ्वीपुर में भाजपा प्रत्याशी के नामांकन के लिए जा रहे थे। निवाड़ी जिले के अधिकारियों ने सेना से संपर्क किया। इसके बाद लैंडिंग की अनुमति मिल सकी। सात दिन बाद इसका खुलासा हुआ। दरअसल, उत्तर प्रदेश के झांसी बबीना कैंट एरिया में यह वाकया हुआ था। मुख्यमंत्री निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर और रैगांव में भाजपा उम्मीदवारों के नामांगन के लिए जा रहे थे। तभी निवाड़ी जिले के अधिकारियों ने सेना से संपर्क किया। इसके बाद लैंडिंग की अनुमति मिल सकी। नाराज मुख्यमंत्री ने जांच के निर्देश दिए हैं।

8 अक्टूबर को उपचुनावों के लिए नामांकन का अंतिम दिन था। इसी दिन मुख्यमंत्री पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर अपने प्रत्याशी के नामांकन के लिए गए थे। भोपाल स्टेट हैंगर से उन्होंने खजुराहो के लिए उड़ान भरी थी। उनका हेलीकॉप्टर झांसी के बबीना कैंट एरिया में पहुंचा, तो एटीसी ने लैंडिंग की अनुमति नहीं होने के कारण ऊपर ही रुकने को कह दिया। फिर निवाड़ी के अधिकारियों ने सेना से संपर्क किया। अनुमति मिलने में करीब 15 मिनट लग गए। तब तक शिवराज सिंह चौहान का हेलीकाप्टर हवा में ही घूमता रहा।

उपचुनाव में प्रचार के लिए शिवराज सिंह के लिए यह हेलीकाप्टर भाजपा ने किराये पर लिया था। हेलीकाप्टर देने वाली कंपनी ने इसमें अपनी गलती होने से इनकार किया है। कंपनी ने कहा है कि उड़ान भरने से पहले ही अनुमति की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। उसने मुख्यमंत्री के हेलीकाप्टर को जानबूझकर रोके जाने का आरोप लगाया है।

दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं। यूपी के उड्डयन मंत्री नंदगोपाल नंदी ने इस पूरे मामले से ही अनभिज्ञता जाहिर की है। नंदी ने कहा है कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है और इसमें प्रदेश सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है।

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