सुकमा
पुलिस में भर्ती होने के शक में चार दिन पूर्व अपहरण किए गए 7 युवकों सहित 34 ग्रामीणों को नक्सलियों ने रिहा कर दिया। बताया जाता है कि सर्वदलीय आदिवासी संगठन के द्वारा की जा रही अपील पर नक्सलियों ने इन्हें रिहा किया। नक्सलियों ने युवकों पर पुलिस मुखबिरी करने का आरोप लगाते हुए उन्हें आखिरी मौका देने की बात कही है।
उल्लेखनीय है कि रविवार की रात में जगरगुंडा क्षेत्र के कुदेड़ गांव में हथियारबंद नक्सलियों ने गांव के स्थानीय 7 युवकों का पुलिस में भर्ती होने के शक में अपहरण करते हुए अपने साथ ले गए। युवकों के अपहरण किये जाने की जानकारी मिलने के बाद दूसरे दिन उनकी तलाश में 14 ग्रामीण जंगल की ओर रवाना हुए, लेकिन वह भी नहीं लौटे। इसके बाद मंगलवार को दो ग्रामीणों को नक्सलियों ने वापस भेजा। उनके पास नक्सलियों की दी गई 13 नामों की लिस्ट थी। उन सबको भी बुलाया गया। इसके बाद से सभी 34 ग्रामीणों का कुछ भी पता नहीं चल पाया था।
मंगलवार को मामले की सूचना पुलिस को मिली, तो गांव में फोर्स भेजी गई। जहां देर शाम इस बात की पुष्टि हुई कि ग्रामीण लापता है। इनमें 7 युवकों को अगवा कर नक्सली ले गए हैं। बताया जा रहा है कि जिन युवकों को अगवा किया है, उनमें उईका सन्नु, उईका प्रकाश, उईका रामलाल, कारम हिरा, उईका मुकेश, तेलम प्रभात और उईका मुड़ा शामिल थे। नक्सलियों ने सभी ग्रामीणों को देर रात छोड़ दिया है। नक्सलियों ने इन सभी युवकों को पुलिस मुखबिरी को लेकर अंतिम मौका देने की बात कही है।
सर्व आदिवासी समाज ने नक्सलियों से अगवा किए गए युवकों को छोडऩे की अपील की थी। समाज के प्रतिनिधियों ने कहा था कि सभी ग्रामीणों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए रिहा किया जाए। माना जा रहा है कि ग्रामीणों पर दबाव बनाने के लिए नक्सलियों की ओर से ऐसा किया गया है। दूसरी ओर पुलिस का कहना था कि मामले की जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि ग्रामीण अब नक्सलियों का सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए अब वे इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
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