मध्य प्रदेश

राज्यसभा चुनाव : कौन जाएगा गहलोत की जगह राज्यसभा ?

8Views

भोपाल
मध्यप्रदेश के 11 में से राज्यसभा की 1 सीट पूर्व केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के राज्यपाल बनने के बाद इस्तीफे से रिक्त हो गई है। अति शीघ्र होने जा रहे राज्यसभा के चुनाव में यह सीट  विधानसभा में संख्या बल के आधार पर भाजपा के पाले में जाने के साथ निर्विरोध निर्वाचन निश्चित है। ऐसे में अहम  सवाल यह है कि इस रिक्त सीट पर भाजपा अपने किस नेता को मौका देगी ?  मौजूदा हालात में जो नाम तेजी से उभर रहे हैं उनमें भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व सांसद कृष्ण मुरारी मोघे, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया और उज्जैन के पूर्व सांसद चिंतामन मालवीय शामिल है।

क्षेत्रीयता की दृष्टि से देखें तो यह सुनिश्चित लगता है कि प्रदेश के मालवा अंचल से ही राज्यसभा के रिक्त पदों की पूर्ति की जाएगी। इसी प्रकार दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह भी हो सकता है कि गहलोत के इस्तीफे के बाद मध्यप्रदेश के कोटे से शेष बचे 11 राज्यसभा सांसदों में कोई भी अनुसूचित जाति या दलित वर्ग से नहीं है ,ऐसी दशा में इसी वर्ग से राज्यसभा सदस्य बनाने की सुनिश्चितता दिखाई देती है। वैसे भी 2 सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी और संपतिया उईके अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।पार्टी नेतृत्व द्वारा किसी दूसरे राज्य से भाजपा नेता को मध्यप्रदेश के कोटे से उच्च सदन में भेजे जाने की संभावना भी कम है क्योंकि पूर्व से ही मुब्बशर जावेद अकबर और धर्मेंद्र प्रधान को यहां से भेजा जा चुका है। ऐसी दशा में प्रदेश के ही नेताओं को  प्राथमिकता दिए जाने की पूरी सुनिश्चितता  है।

कैलाश विजयवर्गीय               
मालवा अंचल के वरिष्ठ भाजपा नेता विजयवर्गीय अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं है। प्रदेश में कई बार मंत्री रहने के बाद वर्तमान में वह भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और पश्चिम बंगाल के संगठन प्रभारी हैं। वैसे खंडवा लोकसभा सीट से उनके उप चुनाव लड़ने की भी संभावना है। इसके बावजूद भी उन्हें राज्यसभा के लिए भेजे जाने की ज्यादा संभावना बनी हुई है।

कृष्ण मुरारी मोघे                   
 संघ के प्रचारक से राजनीति की मुख्यधारा में आने वाले कृष्ण मुरारी मोघे पूर्व सांसद होने के साथ ही इंदौर के महापौर भी रह चुके हैं। यदि आरएसएस ने वीटो पावर का उपयोग किया तो उनके उच्च सदन के सदस्य के रूप में फिर से पार्टी की मुख्यधारा में आने का मौका मिल सकता है। वैसे भी उन्हें खंडवा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी का दावेदार माना जा रहा है।

सत्यनारायण जटिया
उज्जैन से 5 बार लोकसभा सदस्य रह चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री और अनुसूचित जाति के प्रमुख नेता जटिया राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। सवा साल पूर्व हुए टर्न में उन्हें तीसरी बार राज्यसभा में नहीं भेजा गया था। क्योंकि अब मालवा अंचल से ही किसी दलित नेता को राज्यसभा सदस्य बनाने की संभावना है तो उम्र दराज होने के बावजूद उनके नाम पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है।

चिंतामन मालवीय                    
कॉलेज में प्रोफेसर रहे उज्जैन के पूर्व सांसद चिंतामन मालवीय भी इस पद के लिए स्वाभाविक दावेदार के रूप में सामने आए हैं। किन्ही कारणों से पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। किंतु अब जब अवसर आया है कि मालवा के ही किसी दलित भाजपा नेता को संसद के उच्च सदन में भेजा जाना है तो पार्टी नेतृत्व उसके नाम पर भी गंभीरता से विचार कर सकता है।

admin
the authoradmin