घर में बंद बच्चों को कोरोना सिखा गया है बहुत कुछ, जानिए क्या स्किल्स सिखाए हैं इस नई जिंदगी ने
कोरोना की वजह से लोगों की आम जिंदगी की गाड़ी पटरी से उतर गई है। जहां सुबह होते ही लोग ऑफिस भागते थे, वहीं अब उठते ही लैपटॉप खोलकर ऑफिस घर से ही शुरू कर देते हैं। वहीं अब बच्चों का स्कूल भी लैपटॉप पर ऑनलाइन क्लास में सिमट कर रह गया है।
पहले जहां बच्चे स्कूल जाते थे और दोस्तों के साथ पार्क जाकर खूब खेलते थे लेकिन अब बच्चों को घर से बाहर निकलने की इजाजत ही नहीं। कोरोना वायरस के कहर को बच्चे नहीं झेल पाएंगे इसलिए लगभग डेढ़ साल से बच्चे घर में ही हैं।
अनिश्चितता से डील करना
जिंदगी में कुछ ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिन पर हमारा कोई कंट्रोल नहीं होता है और इसकी वजह से जिंदगी में कई तरह की परेशानियां आ जाती हैं। कोरोना भी कुछ ऐसे ही हमारी जिंदगी में आया है। अचानक आई इस मुसीबत ने बच्चों को एक अलग जिंदगी में एडजस्ट करना सिखा दिया है।
थोड़ी फ्लैक्सिबिलिटी लाना
फिलहाल की परिस्थिति से बच्चों को भी एंग्जायटी और स्ट्रेस हो गया है। अपने दोस्तों से भी बच्चे दूर हो गए हैं। इससे बच्चों को सीखने को मिला है कि कैसे विपरीत परिस्थिति में आपको खुद को ढालना होता है। कोरोना की बदौलत बच्चों ने खुद को काफी फ्लैक्सिबल बना लिया है।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार इस स्थिति में बच्चों ने स्ट्रेस और एंग्जायटी से लड़ना सीख लिया है।
जिम्मेदार बनना
कोरोना की वजह से बच्चे बहुत समय से घर पर ही हैं और घर के काम भी करने लगे हैं। कोरोना से बचने के लिए वयस्कों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी काफी सावधान रहना पड़ रहा है।
इस कारण बच्चों में जिम्मेदार बनने की समझ आ गई है। अब अगर आपका बच्चा अपने काम खुद करने लगा है, तो उसे रोके नहीं।
दोस्तों के साथ बॉन्डिंग
बच्चे अब अपने पेरेंट्स के साथ ज्यादा समय बिताने लगे हैं लेकिन अब उन्हें अपने दोस्तों से मिलने और बात करने का मौका नहीं मिल पा रहा है।
सोशल डिस्टेंसिंग के टाइम में दोस्ती बनाए रखना एक चैलेंज बन गया है और जो बच्चे शर्मीले हैं, वो तो और ज्यादा घर में बंद हो गए हैं। पेरेंट्स को चिंता सताने लगी है कि इस तरह तो बच्चे सोशल स्किल्स सीख ही नहीं पाएंगे।
हालांकि, बच्चों ने टेक्नालॉजी की मदद से अपनी दोस्ती को बरकरार रखने का तरीका सीख लिया है। अब बच्चे एक-दूसरे के साथ ऑनलाइन गेम खेल रहे हैं और वीडियो कॉल पर बात कर रहे हैं। इस तरह बच्चों ने दोस्तों के साथ कॉन्टैक्ट में रहना सीख लिया है।
पैसों का महत्व
कोरोना की महामारी ने हर किसी को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है। पेरेंट्स के पास नौकरी हो या न हो, उन्हें बच्चों की स्कूल की फीस तो भरनी ही है।
इस बीच बच्चों ने भी अपने पेरेंट्स को फाइनेंशियली परेशान देखा है और अब वो सीख गए हैं कि पैसों का कब, कैसे और कितना इस्तेमाल करना है।
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