महिला आयोग में प्रकरण दर्ज होते ही 6 प्रकरणों में पुलिस ने किया एफआईआर दर्ज
रायपुर। महिला आयोग में जन सुनवाई के दौरान आयोग की अध्यक्षा ने पुलिस को एफआईआर दर्ज न होने पर जहब अपनी नाराजगी जताई तो 6 मामलों में पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया। आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि आगामी बैठक में इन मामलों में की गई कार्रवाई से आयोग को अवगत किया जाये ताकि पाीड़ित पक्षों को न्याय दिलाया जा सके। जिला कार्यालय के सभाकक्ष में 20 प्रकरणों का सुनवाई की गई, जिसमें 14 प्रकरणों का निराकरण किया गया।
दहेज प्रताडऩा के प्रकरण में अनावेदक के अनुपस्थित होने पर एसआई कांकेर को आयोग की ओर से जिम्मेदारी दी गयी है कि जिसमे आवेदिका के प्रकरण की तफ्तीश अपने सामने कराएं, अनावेदक को सामने बुलाकर, आवेदिका व बच्चे के भरण पोषण के संबंध में अनावेदक से स्वीकृति कराया जाए, पहले पत्नी को तलाक दिए बिना अनावेदक दूसरी शादी करने वाला है, जिससे अनावेदक शादी करना चाहते हैं उसका भी बयान दर्ज कर 10 दिन के भीतर आयोग के समक्ष विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने निर्देशित किया गया है।
मानसिक प्रताडऩा के एक प्रकरण में आवेदिका द्वारा व्यक्त किया गया कि प्रकरण उच्चतम न्यायालय में प्रक्रियाधीन है, यह प्रकरण आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर होने के कारण प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।मानसिक प्रताडऩा से ही सम्बंधित दूसरे अन्य प्रकरण में आवेदिका द्वारा अनावेदक के विरुद्ध थाने में जुर्म पंजीबद्ध किया जा चुका है, इस प्रकरण को आयोग से नस्तीबद्ध किया। मानसिक प्रताडऩा के प्रकरण में सुनवाई के दौरान आवेदिका के अनुपस्थित रहने पर शिकायत निरर्थक व अर्थहीन होने के कारण आयोग से इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। मारपीट से सम्बंधित प्रकरण में आवेदिका द्वारा अनावेदक के विरुद्ध थाना में जुर्म दर्ज हो गया है, इस प्रकरण को आयोग से नस्तीबद्ध कर दिया गया।
शारीरिक शोषण के प्रकरण में एस आई कांकेर द्वारा जानकारी दिया गया कि अनावेदक के विरुद्ध जुर्म दर्ज कर दिया गया है, इस प्रकरण को आयोग ने नस्तीबद्ध किया। मानसिक प्रताडऩा के प्रकरण में आवेदिका अनुपस्थित रही अनावेदक ने जानकारी दिया कि तलाक का मामला न्यायालय में लंबित है, इस मामले में आवेदिका अनुपस्थित होने के कारण इस प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया । अनावेदक ने स्वीकार किया कि आवेदिका से तलाक लिए बिना दूसरी शादी किया है, अनावेदक पत्नी से बातचीत कर आवेदिका व बच्चे के स्थाई भरण पोषण की व्यवस्था कर विधिवत तलाक लेने के निर्देश आयोग द्वारा प्रकरण को महिला एवं बाल विकास विभाग को सुपुर्द किया और उनके भरण-पोषण के लिए एक मुश्त राशि देने निर्देशित कर आयोग को अवगत कराने कहा गया।
अन्य प्रकरण में आवेदिका उपस्थित रहीं लेकिन आवेदिका का प्रकरण वर्ष 2012 में शासकीय सेवा से लगातार अनुपस्थित के बाद नौ वर्ष पश्चात आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत की है। यह प्रकरण नौ वर्ष पुराना मामला होने के साथ समय अवधि के अनुरूप नहीं होने के कारण आयोग से इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
मानसिक प्रताडऩा के एक प्रकरण में आवेदिका उपस्थित अनावेदक उच्च श्रेणी में लिपिक है, अनावेदक ने जानकारी दिया कि पेंशन प्रकरण में 2008 से 2011 में विसंगतियां होने के कारण उचित कार्यवाही नहीं हो पाई है। एक सप्ताह में कार्यवाही होने की सम्भावना अनावेदक द्वारा व्यक्त किया गया, आयोग द्वारा कार्यालय संयुक्त संचालक एवं नगरीय प्रशासन कांकेर को आयोग कार्यालय को सूचित करने कहा गया।
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