मध्य प्रदेश

IPS कॉडर रिव्यू अटका, मध्यप्रदेश ने 15 फीसदी बढ़ाकर केंद्र से मांगी 39 नए पोस्ट

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भोपाल
मध्यप्रदेश का आईपीएस कॉडर रिव्यू फिलहाल खटाई में पड़ गया है। डीओपीटी पांच प्रतिशत से ज्यादा पद बढ़ाने को राजी नही है। इसको लेकर उसने एमएचए से कुछ और जानकारी मांगी है। इसका जस्टीफिकेशन देने को कहा गया है।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार ने केन्द्र से आईपीएस कॉडर रिव्यू में 39 नई पोस्ट मांगी है। नये प्रस्ताव से आईपीएस के पदों में कुल पंद्रह प्रतिशत इजाफा हो रहा है। यदि राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो मध्यप्रदेश में वर्तमान में आईपीएस अफसरों की संख्या 305 से संख्या बढ़कर 348 हो जाएगी। इस प्रस्ताव में राज्य सकार ने स्पेशल डीजी पुलिस ट्रेनिंग, आईजी होमगार्ड जबलपुर, आईजी पीटीआरआई, आईजी जेएनपीए समेत आईजी आरएपीटीसी इंदौर की पांच आईपीएस पोस्ट को सरेण्डर करने का प्रस्ताव भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था।

इस प्रस्ताव में मध्यप्रदेश राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और लोकायुक्त में अब आईपीएस अफसर ही एसपी बनेंगे। मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 के बाद से प्रमोटी अफसरों को ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में एसपी बनाने की परंपरा शुरु हुई थी। इसके पहले शिवराज सरकार ने उस व्यवस्था को खत्म करने का निर्णय लिया है जिसके तहत राज्य पुलिस सेवा  का कोई अफसर प्रमोट होकर ईओडब्ल्यू एसपी के पद पर काबिज होता था अब सिर्फ आईपीएस अफसर ही इस पद के योग्य होंगे।

कॉडर रिव्यू में मध्यप्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय से स्पेशल डीजी के दो नये पदों की मांग की है। यह दोनो स्पेशल डीजी फायर सर्विसेस और आईटीपीए भौरी के लिए मांगे गए है। इसके अलावा गृह मंत्रालय से एडीजी के सोलह पद मांगे गए है। इनकी पोस्टिंग साइबर क्राइम, आरएपीटीसी इंदौर, जेएनपीए सागर, पीटीआरआई भोपाल, एंटी नक्सल आॅपरेशन नारकोटिक्स, एसटीएफ और ट्रेनिंग मुख्यालय में होगी। एसडीआरएफ के लिए आईजी का एक पद और डीआईजी 8 पद मांगे गए है।

वर्ष 2015 में जब कॉडर रिव्यू किया गया था तब प्रदेश के 158 आईपीएस अफसरों के पद बढ़कर 166 हो गए थे। उस वक्त मध्यप्रदेश में आईपीएस अफसरों की संख्या पांच प्रतिशत के आसपास बढ़ी थी।

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