नई दिल्ली
न्यायाधिकरणों (ट्रिब्यनल्स) में नियुक्ति को लेकर दिए गए फैसले को बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के प्रति नाराजगी प्रकट की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब सर्वोच्च अदालत फैसला देती है तो वह देश का कानून बन जाता है। लेकिन सरकार उन्हें निरस्त कर नया कानून ले आती है। अदालत ने न्यायाधिकरणों में नियुक्ति करने के लिए 50 वर्ष की आयु निर्धारित की थी और एक तय कार्यकाल के बारे में फैसला दिया था। लेकिन सरकार ने इसे बदल दिया और नए कानून में फैसले से अलग व्यवस्था कर दी।
अदालत ने कहा कि क्या सरकार कानून ला कर और उनके जरिए फैसलों को खारिज नहीं कर रही है। क्या सरकार की यह कार्यवाही सही है? हालांकि सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने कहा कि संसद को लोगों की इच्छा का सम्मान करना पड़ता है। अदालत कितने भी निर्णय पारित कर सकती हैं। लेकिन संसद हमेशा कह सकती है कि हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि यह लोगों के हित में नहीं है। संसद को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के ऊपर व्यवस्था करने का अधिकार है।
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