चैत्र नवरात्रि का समापन राम नवमी के साथ होता है. शास्त्रों के अनुसार, राम नवमी भगवान रामके जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है. राम नवमी इस बार 21 अप्रैल को मनाई जाएगी. मान्यता है कि राम जी का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी के दिन दोपहर के समय हुआ था. ये भी मान्यता है कि उस दिन पुनर्वसु नक्षत्र था. साथ ही चन्द्रमा भी कर्क राशि में था और वहीं लगभग सारे ग्रह उच्च के थे. श्रीराम जी के साथ नवरात्रि के अंतिम दिन मां के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की भी उपासना की जाती है.
नवमी मुहूर्त
ज्योतिष गणना अनुसार, राम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त बुधवार, 21 अप्रैल सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. पूजन मुहूर्त की कुल अवधि 02 घंटे 36 मिनट रहेगी.
नारद पुराण के अनुसार राम नवमी के दिन भक्तों को उपवास करना चाहिए. घर के मंदिर में भगवान भगवान राम की मूर्ति की स्थापना करें और दीपक जलाएं. श्रीराम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद रामायण और राम रक्षास्त्रोत का पाठ करें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और गौ, भूमि, वस्त्र आदि का दान दें. इसके बाद भगवान श्रीराम की पूजा संपन्न करनी चाहिए.
मान्यताओं के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था. इसी उपलक्ष्य में इस नवमी को रामनवमी के रूप में जाना जाता है. रामनवमी में हर वर्ष देश के कोने-कोने से यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. सुबह से ही सरयू स्नान और मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है. इस दिन मंदिरों में बधाई और सोहर के गीत गूंजने लगते हैं. इस अवसर पर दूर-दराज से आए लोग भगवान राम के जन्म पर सोहर गीत गाते हैं और धूमधाम से नाचते हैं.
सुखी जीवन पर खास पूजा
राम नवमी पर प्रात:काल में स्नान कर पीले वस्त्र पहनें. लाल कपड़े बिछाकर सीता राम जी की तस्वीर रखें. शुद्ध घी या तिल तेल दीपक जलाएं साथ ही चंदन की अगरबत्ती जलाएं. गुलाब, फूल, माला और गुलाम पुष्प चढ़ाएं. सफेद मिठाई और कोई सफ़ेद फल चढ़ाएं. इस मंत्र ॐ रामाय नमः। ॐ श्रीं रामाय नमः ।ॐ क्लीं रामाय नमः का जाप करें.
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