बिहार

बोधगया: 62 वीं वर्षगांठ पर तिब्बत का झंडा लहराकर प्रवास कर रहे तिब्बतियों ने मनाया विद्रोह दिवस

11Views

बोधगया
बिहार के बोधगया में प्रवास कर रहे तिब्बती समुदाय के लोगों ने विद्रोह दिवस मनाया। बोधगया के तिब्बती बौद्ध मंदिर में तिब्बत के लोग इकठ्ठा हुए और विद्रोह दिवस के 62 वीं वर्षगांठ पर तिब्बत का झंडा लहराकर आजादी की आवाज बुलंद की।  चीन के दमनकारी नीतियों का विरोध करते हुए तिब्बतियों ने कहा कि 10 मार्च 1959 का दिन तिब्बतियों के इतिहास का वो काला दिन था जब उन्होंने अपनी जमीन को छोड़ कर दूसरे देशों में जाकर शरण ली थी। बुधवार को उन्ही संघर्षशील और काली यादों को याद करते हुए कहा कि वो भले ही कभी अपने देश तिब्बत की पाक पवित्र जमीन को इन आंखों से नहीं देख पाये हों। मगर वहां जाने और उसे आजाद करवाने का जुनून उनके अंदर कूट-कूट कर भरा है। इस अवसर पर तिब्बती बौद्ध लामाओं ने अपने मुल्क की आजादी के लिए विशेष अनुष्ठान की और भगवान से शांति के मार्ग पर चलकर ही देश की आजादी की कामना की। साथी ही भारत में भी अमन, शांति कायम रहे और प्रगति की ओर भारत तेजी से बढ़े इसकी आशीष भगवन बुद्ध से मांगा।

तिब्बत मंदिर के प्रभारी लामा आमजी ने बताया 10 मार्च 1959 में चीनियों के द्वारा जबरन तिब्बत पर कब्जे के विरोध में ये दिन मनाया जाता है। चीनी सेना से विरोध करते हुए अनेक तिब्बती नागरिक शहीद हुए। जबकि तिब्बती नागरिक हमेशा शांतिपूर्ण विरोध को ही अहमियत देते आए हैं। आज भी अनेक तिब्बती चीन की कैद में जीवन यापन कर रहे हैं। उन्हें सोचने और जीवन बिताने की आजादी नहीं है। तिब्बत के सामाजिक परिवेश व संस्कृति को बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। इतने सालों से यातना झेलने के बाद भी नई पीढ़ी में अपने देश वापस लौटने की लालसा है। भारत समेत दुनिया के अनेक देशों में शरणार्थियों की तरह जीवन बिता रहे तिब्बतियों को कुछ बेहतर होने की उम्मीद है।  तिब्बतियों ने कहा उन्हें पूरी उम्मीद है कि आज नहीं तो कल वो अपने देश जरूर जाएंगे और फिर से अपने स्वदेश की माटी में मिलकर अपना वर्चस्व कायम करते हुए तिब्बत का झंडा बुलंद करेंगे। दरअसल 10 मार्च 1959 को ही बौद्ध धर्मगुरू तिब्बत छोड़ने पर मजबूर हुए थे। दलाईलामा ने चीन की दमनकारी नीतियों का विरोध करते हुए अपने 85 हजार देशवासियों के साथ रात के घने अंधेरे में चीन को चकमा देकर देश छोड़ दिया था और नेपाल, भूटान से होते हुये भारत में आकर शरण ली थी।

 

admin
the authoradmin