सियासत

ओवैसी की पार्टी ‘वोट कटवा’, बीजेपी की कर रही है मदद: अधीर 

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कोलकाता
कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी ने असदुद्दीन ओवैसी का नाम लेकर बीजेपी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि ओवैसी की पार्टी वोट कटवा है और वह बीजेपी की मदद करती है। एबीपी न्यूज के एक विशेष कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने बंगाल चुनावों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि बंगाल में पहले धारणा बनी हुई थी कि यह चुनाव बीजेपी बनाम टीएमसी होगा लेकिन यह सही नहीं है। अब मुकाबले में तीसरा पक्ष भी है जिसमें कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी का गठबंधन है। यह तीसरा पक्ष हर दिन जबरदस्त तरीके से उभरकर आगे आ रहा है। मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि बंगाल का चुनाव त्रिपक्षीय होगा। TMC और बीजेपी अफवाह फैला रहे हैं कि द्विपक्षीय चुनाव होगा।

बंगाल में क्यों नहीं दिख रहे राहुल गांधी?
जब उनसे पूछा गया कि अगर ऐसा है तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी यहां क्यों दिखाई नहीं देते हैं जबकि वे दूसरे राज्यों में सभाएं कर रहे हैं? इस पर चौधरी ने जवाब दिया कि बीजेपी बंगाल में ममता बनर्जी के भरोसे आई है और पिछले साल लोकसभा के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने बालाकोट का मुद्दा उछालकर सांप्रदायिक राजनीति की बदौलत कुछ सीटें जीती हैं। आप कहते हैं कि बीजेपी की तरह एक के बाद एक कांग्रेस के नेता क्यों नहीं आ रहे हैं, मैं तो इसे कमजोरियां मानता हूं। मोदी जी कहते हैं देशवालों को कि आत्मनिर्भर बनो लेकिन बंगाल में बीजेपी मोदी और अमित शाह पर निर्भर बनती जा रही है लेकिन कांग्रेस वहां आत्मनिर्भर है। उन्होंने कहा कि हमारे सारे नेता आएंगे, इतनी जल्दबाजी क्या है। हर गांव, पंचायत में हमारे कार्यकर्ता लड़ रहे हैं। यह बीजेपी की कमजोरी है कि वह हर बात में नड्डा, अमित शाह और मोदी जी को बुलाती है। अधीर ने कहा कि बंगाल में बीजेपी का भविष्य दिल्ली के नेताओं पर निर्भर है जबकि कांग्रेस आत्मनिर्भर है।

ओवैसी पर हुआ सवाल तो अधीर ने कहा 'वोट कटवा'
एक सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी तो बीजेपी की मदद से चलते हैं। ये वोट कटवा हैं। चाहे बिहार, महाराष्ट्र हो या बंगाल … बीजेपी हर जगह ओवैसी को वोट काटने के लिए लगाती है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि ऐसा कोई धार्मिक संगठन कांग्रेस के साथ न जुड़े जिससे कोई परेशानी खड़ी हो। हम चाहते हैं कि लोकतांत्रिक और सेक्युलर पार्टी ही साथ आए। हम चाहते हैं कि बंगाल ही नहीं पूरे देश में लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष पार्टियां बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो जाएं।

मुस्लिम, दरगाह और कांग्रेस
फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की बनाई गई पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के साथ कांग्रेस अलायंस पर विचार कर रही है। अधीर ने कहा कि वह अपने मैनिफेस्टो में लोकतांत्रिक मूल्यों की बात करते हैं। दरगाह का किस-किस जगह पर असर है? इस सवाल पर अधीर ने कहा कि दरगाह पर हिंदू और मुसलमान, कांग्रेस और बीजेपी के लोग भी जाते हैं। बंगाल में दरगाह केवल मुसलमानों के लिए नहीं है, वहां हर धर्म के लोग जाते हैं। दरगाह वाले कभी ममता बनर्जी के साथ जुटे थे। दरगाह का मतलब ये नहीं है कि वे आतंकवाद पनपने का प्रतिष्ठान बन चुके हैं। अजमेर शरीफ की तरह फुरफुरा शरीफ है। क्या मुस्लिम वोट बैंक की तरफ कांग्रेस जा रही है? यह पूछने पर चौधरी ने कहा कि अगर सेक्युलर फ्रंट की बात होती है तो उसमें दलित, एससी, दरगाह, उसमें बहुत सारे लोग शामिल हैं, वह फ्रंट है मतलब उनके साथ काफी लोग हैं।

फिर जयश्री राम से आपत्ति क्यों?
चौधरी ने कहा कि दरगाह के शामिल होने का यह मतलब नहीं है कि यह मुस्लिम फ्रंट है, उसमें धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के लोग हैं। ऐसे में फिर जय श्रीराम पर ऐतराज क्यों? अधीर ने कहा कि मैंने सदन में भी यह बात रखी थी कि जब मौलाना को मस्जिद में भगवान दिखेगा, जब पुजारी को मंदिर में रहमान दिखेगा, दुनिया की सूरत बदल जाएगी, जब इंसान इंसान में इंसान को देखेगा। राम को मैं मानता हूं और रहमान को भी मानता हूं। गांधी जी ने ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम बताया है। जयश्री राम पर मुझे ऐतराज नहीं है लेकिन इसे चुनावी मुद्दा बनाना ठीक नहीं है क्योंकि राम की निगाहों में सब इंसान होते हैं। राम की निगाहों में रामराज्य में रहने वाले सभी होते हैं, कोई विभाजन या दरार हमें मंजूर नहीं है। टीएमसी और कांग्रेस जय श्री राम के नारे से चिढती है, ऐसा बीजेपी आरोप लगाती है? इस पर अधीर ने कहा कि महात्मा गांधी ने राम का नाम लेकर अपने प्राण त्यागे थे, तो भला हम कैसे राम के खिलाफ बोल सकते हैं। लेकिन राम को चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा तो उनका अपमान होता है। मेरी निगाह में राम और रहमान में कोई फर्क नहीं है। बंगाल की तहजीब ऐसी है कि यहां राम और कृष्ण, राम और रहमान को मिला देते हैं, यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं होनी चाहिए।

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