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दो सौ घंटे के प्रशिक्षण में केंचुआ खाद निर्माण एवं विपणन की बारीकियों की जानकारी दी गई

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रायपुर
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के औषधीय सगंध पौध एवं अकाष्ठीय वनोपज उत्कृष्ठता केन्द्र द्वारा भारत सरकार के सुपारी एवं मसाला विकास निदेशालय, कालीकट के वित्तीय सहयोग से आयोजित केंचुआ खाद उत्पादन के कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज यहां समापन किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील थे। इस कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में 25 प्रशिक्षणार्थियों को 200 घंटे की अवधि में वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण, पैकेजिंग तथा विपणन के बारे में गहन प्रशिक्षण दिया गया। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रशिक्षणार्थी किसानों को वर्मी कम्पोस्ट निर्माण हेतु केंचुओं की उन्नत प्रजातियां तथा पैकेजिंग सामग्री उपलब्ध करायी गई और विश्वविद्यालय के विक्रय केन्द्र से इसके विक्रय की व्यवस्था की जा रही है।

केंचुआ खाद तैयार करने का यह प्रशिक्षण औषधीय सगंध पौध एवं अकाष्ठीय वनोपज उत्कृष्ठता केन्द्र, रायपुर तथा कृषि विज्ञान केन्द्र पाहंदा, दुर्ग में आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में मोहदा, मगरघटा, पाहंदा, परसदा और अमलेश्वर ग्रामों के कृषकों ने सहभागिता की। प्रशिक्षण के दौरान इन कृषकों को केंचुआ खाद उत्पादन की विभिन्न विधियां, केंचुएं की उपयुक्त प्रजातियों का चुनाव, वर्मी बैड तैयार करने की विधि, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के व्यवहारिक पहलू, केंचुआ उत्पादन की विधि, वर्मी वॉश बनाने की विधि, केंचुआ खाद की पैकिंग भंड़ारण एवं विपणन, केंचुआ खाद के आय-व्यय का आकलन आदि विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गई। इसके साथ ही इन किसानों को वर्मी कम्पोस्ट यूनिट का भ्रमण करवा कर प्रायोगिक प्रदर्शन भी किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजक डॉ. पी.के जोशी एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. एस.एस. टुटेजा एवं डॉ. विजय जैन थे। इन प्रशिक्षणार्थियों में से कुछ किसानों ने वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन भी प्रारंभ कर दिया है, जिनमें अमलेश्वर के जयशंकर वर्मा और ग्राम पहंदा के श्री राजेश साहू प्रमुख हैं। समापन समारोह में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एस.सी. मुखर्जी, कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर के वरिष्ठा वैज्ञानिक डॉ. गौतम रॉय तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़े अन्य विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे।

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