नई दिल्ली
माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। शास्त्रीय मान्यता है किइस अमावस्या के दिन मौन रहकर व्रत और भगवत भक्ति करने से अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। यह अमावस्या 11 फरवरी 2021 गुरुवार को आ रही है। अमावस्या का गुरुवार और श्रवण नक्षत्र के योग में आना अशुभ फलों में कमी लाएगा। मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में स्नान-दान, हरिद्वार, शिप्रा, नर्मदा, यमुना सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान करने का बड़ा महत्व है। इस पूरे दिन मौन रहना चाहिए।
मौन व्रत के चमत्कार शास्त्रों में मौन को सर्वश्रेष्ठ औषधि और सर्वश्रेष्ठ तप-व्रत बताया गया है। चंद्रमा का संबंध मन से है और अमावस्या के दिन चंद्र आकाशमंडल से अनुपस्थित रहता है, ऐसे समय में अपनी वाणी और मन पर नियंत्रण करके अनेक प्रकार के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। वर्ष में कम से कम एक दिन पूर्ण मौन रहने से संयम में वृद्धि होती है। इस दिन मात्र जुबान को ही नहीं, बल्कि अपने मस्तिष्क को भी नकारात्मक बातों, नकारात्मक विचारों से मौन रखना चाहिए। इससे मस्तिष्क की सफाई हो जाती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इस दिन मात्र अपने ईष्ट की भक्ति, चिंतन, मनन करना चाहिए। क्या किया जाता है मौनी अमावस्या के दिन मौनी अमावस्या के दिन मौन रहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके यथाशक्ति दान-पुण्य करना चाहिए।
मौनी अमावस्या के दिन नदियों के तट पर निवास करते हुए भगवान का पूजन, चिंतन, धर्म ग्रंथों का पठन, पाठन करना चाहिए। इस दिन संगम तट पर समस्त देवी-देवताओं का वास रहता है, इसलिए दिन अधिक पुण्यदायी होता है। ग्रहों का दुर्लभ संयोग बना मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा सहित छह ग्रह सूर्य, शनि, बुध, गुरु और शुक्र मकर राशि में रहने से यह षटग्रही महायोग बना है। इसे महोदय योग भी कहते हैं। इस योग में गंगा में डुबकी लगाने और पितरों का पूजन तर्पण करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन तिल का दान करने से शनि, राहु-केतु समेत पाप ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु को भी तिल अर्पित करना चाहिए। इससे पुण्य फलों में वृद्धि होती है।
मौनी अमावस्या समय अमावस्या तिथि प्रारंभ 10 फरवरी की रात 1.10 बजे से अमावस्या तिथि पूर्ण 11 फरवरी को रात 12.37 बजे तक पुण्य काल 11 फरवरी को दिन में 2.06 बजे तक महोदय योग, श्रवण नक्षत्र 11 फरवरी को दिन में 2.06 बजे तक मौनी अमावस्या पर समृद्धि के उपाय इस दिन भगवान विष्णु और शिव आराधना का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु को तिल अर्पित करें और शिवजी का पंचामृत से अभिषेक करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन गरीबों को भोजन करवाने, तिल, गुड़, वस्त्र, अन्न आदि दान करने से संकट दूर होते हैं। इस दिन रात्रि के समय पवित्र नदियों या सरोवर आदि में दीपदान करने से आयु में वृद्धि होती है। सुबह के समय पीपल के पेड़ में मीठा दूध अर्पित करने और शाम को पीपल के नीचे तिल के तेल का दीपक लगाने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। पीपल के पत्तों पर मिठाई रखकर पितरों को अर्पित करने से पितृदोष दूर होता है। पितृ प्रसन्न होते हैं।
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