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किसानों के मुद्दों पर SC में याचिका दाखिल, इंटरनेट बहाल करने की मांग

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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन के दौरान बैन इंटरनेट की बहाली की याचिका लगाई गई है। पिटीशन में सिंघु, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर में इंटरनेट को तत्काल बहाल करने की मांग की है। वहीं सिख समुदाय को निशाना बनाते हुए नफरत फैलाने वाली खबर को मीडिया घरानों को भी निर्देश देने की प्रार्थना की गई है।

अपनी याचिका में याचिकाकर्ता वकील सनप्रीत सिंह अजमानी और पुष्पिंदर सिंह ने बताया कि वे कुछ न्यूज चैनल और सोशल नेटवर्किंग साइट्स की तरफ से घृणित समाचारों से व्यथित हैं। ट्विटर, यूट्यूब, फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम के जरिए पूरे सिख समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है। वहीं अजमानी ने याचिका में बताया कि घृणित समाचार पूरे सिख समुदाय के लिए अपूरणीय क्षति और चोट का कारण बन रहे हैं।

मौलिक अधिकारों का हनन
वकील सितवत नबी और अभिलाषा हेला ने भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दी है। जिसमें कहा गया कि इंटरनेट बैन को लेकर गृह मंत्रालय का आदेश मौलिक संवैधानिक मूल्यों का हनन है। दलील में आगे कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में इंटरनेट को बैन करने का आदेश जारी किया गया है, जहां किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से सत्ता का घोर दुरुपयोग है और यह अनुच्छेद 19 के तहत लोगों को उनके मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने में रुकावट डाल रहा है।
 
बैरिकेडिंग हटाए जाने की मांग
याचिका में दिल्ली बॉर्डर इलाकों पर लोहे के कील और सीमेंट के बैरियर बनाए गए हैं, जिन्हें हटाने की भी प्रार्थना की गई है। बताया गया है कि हर बॉर्डर पर लोहे की 2 हजार से ज्यादा कीलें लगाई गईं हैं। यही नहीं किसानों को मूलभूत अधिकारों से भी दूर किया जा रहा है और ये अनुच्छेद-21 के तहत मिले जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। जिसको रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने लापता किसानों और किसानों पर होने वाले हमलों का पता लगाने के लिए न्यायिक जांच की भी मांग की है।

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