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मध्य प्रदेश

पाले से फसलों पर पड़ने वाले प्रभाव एवं उससे बचाव के उपाय

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मुरैना
शीतलहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को नुकसान होता है। टमाटर, मिर्च, बैगन, आदि सब्जियों पपीता एवं केले के पोधो एवं मटर, चना, अलसी, सरसो, जीरा, धनिया, सोफ, अफीम में सबसे ज्यादा 80 से 90 प्रतिशत तक तथा अरहर में 70 प्रतिशत, गन्ने में 50 प्रतिशत, एवं गेंहू तथा जौ में 15 से 25 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।

पाले ( तुषार ) से फसलों पर प्रभाव
पाले के प्रभाव से फूल झड़ने लगते है एवं फल मर जाते है। प्रभावित फसल का हरा रंग समाप्त हो जाता है तथा पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग जैसे दिखता है।ऐसे में पोधो के पत्ते सड़ने से बैक्टीरिया जनित बीमारियों का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है। फल के ऊपर धब्बे पड़ जाते है व स्वाद भी ख़राब हो जाता है। पाले से प्रभावित फसल, फल व सब्जियों में कीटो का प्रकोप भी बढ़ जाता है।  सब्जियों पर पाले का प्रभाव अधिक होता हे,  कभी कभी शत प्रतिशत सब्जी कि फसल नष्ट हो जाती है। फलदार पौधे पपीता, आम आदि में इसका प्रभाव अधिक पाया गया है। शीत ऋतू वाले पौधे 2 डिग्री सेंटीग्रेट तक तापमान सहने में सक्षम होते है। इससे कम तापमान होने पर पौधे कि बहार व अंदर कि कोशिकाएं बर्फ जमने के कारण जम जाती है। बर्फ जमने से जल के आयतन में वृद्धि हो जाने से पौधे की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है और पौधे कि मृत्यु हो जाती है। जिसका उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

पाले से फसलों को बचाने के उपाय
फसलों में हल्की सिंचाई तुरंत करे। नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती हे तथा भूमि का तापमान कम नहीं होता है। इस प्रकार पर्याप्त नमी होने पर शीतलहर व पाले से नुकसान की सम्भावना कम रहती है।सर्दी में फसल कि सिंचाई करने से 0.5  डिग्री से 2 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बढ़ जाता है। जिससे पाले का प्रभाव नहीं होता है। आधी रात के बाद खेत के चारो ओर कूड़ा करकट जलाकर धुआँ कर देना चाहिए ताकि खेत में धुआँ हो से वातावरण में गर्म हो जाता है। ऐसा करने से 4 डिग्री सेंटीग्रेट तक तापमान आसानी से बढ़ाया जा सकता है जिससे फसलों को पाले के प्रभाव से बचाया जा सकता है। फसलों में गंधक अम्ल (सल्फर) 0.1 प्रतिशत का छिड़काव शाम के समय करे।  इस हेतु 1 लीटर गंधक अम्ल को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करे । इसका असर 15 दिनों तक रहता है।डाइमिथाइल सल्फोऑक्साइड ( डीएमएसओ ) नामक रसायन 75 ग्राम प्रति 1000 लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिन के अंतराल में आधा – आधा दो बार छिड़काव कर दे।

पौधशाला के पोधो एवं सब्जी वाली फसलों को टाट, पालीथीन अथवा भूसे से ढक दे।  रात के समय वायुरोधी टाटियो को हवा आने वाली दिशा कि तरफ से बांधकर क्यारियों के किनारे पर लगाए तथा दिन में पुनः हटा दे । धनिया, सरसो, मिर्च, बेंगन, मटर, टमाटर, जीरा, चना, सोफ, अफीम जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक अम्ल का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पोधो में लोह तत्व एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है, जो पोधो में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती है।

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