छत्तीसगढ़

न्याय देने में महाराष्ट्र सबसे आगे, छत्तीसगढ़ 7वें स्थान पर

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रायपुर
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के द्वितीय संस्करण में लोगों को न्याय प्रदान करने में भारत के राज्यों की इस एकमात्र रैंकिंग रिपोर्ट में 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों (प्रत्येक एक करोड़ से अधिक आबादी वाला राज्य) में महाराष्ट्र ने एक बार फिर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है और छत्तीसगढ़ ने तीन प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त करते हुए 7 स्थान हासिल हासिल किया है, 2019 में छत्तीसगढ़ 10वें स्थान पर था।      

स्तम्भवार प्रदर्शन में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अधिक न्यायाधीश, अधिक अदालतें, निचली अदालतों में 5 वर्षों से अधिक समय से लंबित मुकदमों में न्याय प्रदान करते हुए  4 प्रतिशत पर लाया। पुलिस में  10वें से दूसरा स्थान हासिल किया है जिसमें ज्यादा सिपाहियों की रिक्ति, पुलिस में अधिक स्त्रियाँ, 5 वर्षों में अधिक एससी, एसटी, ओबीसी अधिकारी की नियुक्ति की है जिसके कारण अधिकारी और सिपाही की रिक्तियों में गिरावट आई है। छत्तीसगढ़ में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में 53 प्रतिशत से 31 प्रतिशत की न्याय पालिका में भारी गिरावट देखी गई है। अधिकारी विविधता कोटा (एससी, एसटी, ओबीसी) में केवल कर्नाटक और छत्तीसगढ़ ने सिपाहियों के लिए यह कोटा पूरा किया है।

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आइजेआर) टाटा ट्रस्ट्स की पहल ने सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कामनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास, विधि सेंटर फॉर लीगल पालिसी और हाउ इंडिया लिव्स ने प्रथम आइजेआर 2019 में जारी की गई थी। 14 महीनों की श्रमसाध्य मात्रात्मक शोध के माध्यम से इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 ने एक बार फिर राज्यों द्वारा सभी को प्रभावकारी ढंग से सेवाएँ देने के लिए न्याय प्रदान करने के अपने-अपने ढाँचों में की गयी प्रगति की खोज की है. इसमें नवीनतम आंकड़ों और परिस्थितियों का विचार किया गया है जैसी वे मार्च 2020 के पहले थीं. इसमें न्याय के चार स्तंभों – पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और कानूनी सहायता पर आधिकारिक सरकारी स्रोतों के अन्यथा बंद पड़े आंकड़ों को एक साथ पेश किया गया है.

अखिल भारतीय तस्वीर को मिलाकर रिपोर्ट के निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं. भारत में कुल न्यायाधीशों में महिलाओं का अनुपात केवल 29 प्रतिशत है. देश के दो-तिहाई कैदी अभी अंडरट्रायल हैं. 1995 के बाद पिछले 25 वर्षों में केवल 1.5 करोड़ लोगों को कानूनी सहायता मिली है, जबकि देश की जनसंख्या की 80 प्रतिशत आबादी इसकी पात्र है। महाराष्ट्र ने न्याय देने में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है वहीं तमिलनाडु (2019 में तीसरा स्थान), तेलंगाना (2019 में 11वाँ), पंजाब (2019 में 4था) और केरल (2019 में दूसरा स्थान) ने क्रमश: दूसरा, तीसरा, चौथा और पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया है। गुजरात छठवां, छत्तीसगढ़ सातवां, झारखण्ड आठवां, हरियाणा नौ, राजस्थान दसवा, ओडिशा 11, आंध्र प्रदेश 12, बिहार 13, कर्णाटक 14, उत्तराखंड 15, मध्य प्रदेश 16, पश्चिम बंगाल 17 और उत्तर प्रदेश को 18 स्थान प्राप्त हुआ है। सात छोटे राज्यों (एक करोड़ के कम आबादी वाले राज्य) की सूची में शीर्ष पर त्रिपुरा (2019 में 7वाँ) और उसके बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश:  सिक्किम (2019 में दूसरा) और हिमाचल प्रदेश (2019 में तीसरा) है। 

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