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एक साल से गायब है कोरोना वायरस की सबसे पहले शिकार हुई रिसर्चर?

पेइचिंग/लंदन
करीब एक साल से कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाली पहली मरीज की खोज में जारी जांच को छिपाने का आरोप चीन की सरकार पर लगा है। वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी की हुआंग यानलिंग को चीन में शेयर की जा रहीं ऑनलाइन रिपोर्ट्स में 'पेशेंट जीरो' बताया जा रहा था। इसके बाद महामारी के फैलने से संस्थान का सीधा संपर्क साफ हो रहा था। हालांकि, इन रिपोर्ट्स में यह नहीं बताया गया था कि हुआंग को वायरस कब हुआ या उनका बाद में क्या हुआ। इससे अमेरिका के उन आरोपों को जरूर बल मिला है जिसमें संस्थान के स्टाफ के शुरुआत में संक्रमित होने का दावा किया गया है। चीनी सरकार और लैब अधिकारियों ने ऐसी किसी खबर का खंडन किया था और इंटरनेट से उन्हें हटा दिया। यह भी दावा किया गया था कि हुआंग चीन में कहीं और हैं और सुरक्षित हैं। चीन के वॉट्सऐप WeChat पर सर्कुलेट हो रहे एक मेसेज से लेकर उनके पूर्व बॉस प्रफेसर वेई हॉन्ग पिंग तक के बयान तक में दावा किया गया कि हुआंग ठीक हैं। यहां तक कि चीनी न्यूज एजेंसी ने बिना डीटल दिए हुआंग की नई कंपनी से बातचीत का दावा तक कर दिया।

हालांकि, हुआंग खुद सोशल मीडिया से गायब हैं और उनकी बायोग्राफी और रिसर्च हिस्ट्री को संस्थान की वेबसाइट से उड़ा दिया गया है। एक साल बाद उनसे जुड़ी सिर्फ एक ही चीज है एक पुरानी तस्वीर जो सोशल मीडिया पर शेयर होती रही है। चीन के ब्लॉगर और इंटरनेट यूजर्स अधिकारियों के दावों पर आशंका जताते रहे। उन्होंने यह भी मांग की हुआंग को सामने आकर सच साबित करना चाहिए। यहां तक कि हुआंग के सामने नहीं आने पर ब्लॉगर्स ने यह आशंका तक जताई है कि उन्हें मार दिया गया है या हिरासत में रखा गया है ताकि संस्थान का सच दुनिया के सामने न आ सके। जब हुआंग को पेशेंट जीरो बताने वाली रिपोर्ट्स सामने आई थीं, उसी महीने चीनी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म Weibo पर खुद को रिसर्चर बनाने वाले एक यूजर ने आरोप लगाया था कि वायरस संस्थान से लीक हुआ है। लैब ने आरोप का खंडन किया और दावा किया कि यह शख्स रिसर्चर नहीं है। कोरोना के उत्पत्ति की जांच के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम के वुहान पहुंचने से पहले ही चीन में अचानक कोरोना वायरस के मामलों में तेजी आ गई है। इस बीच चीन ने वुहान समेत देश के कई शहरों में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है। लोगों को घरों में ही रहने की सलाह दी गई है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) के अनुसार, मंगलवार को देश में संक्रमण के 115 नए मामले सामने आए हैं। इनमें से 107 मामले स्थानीय स्तर पर संक्रमण के हैं वहीं शेष मामले बाहर से आए लोगों से जुड़े हैं। कोरोना को मात देने का दावा करने वाले चीन में फिर से संक्रमण की रफ्तार बढ़ने की खबर ने लोगों के मन में फिर से शक पैदा कर दिया है।

डब्ल्यूएचओ के 10 सदस्यीय दल गुरुवार को सिंगापुर से वुहान के लिए उड़ान भरने वाला है। 1 साल बाद इस वैश्विक महामारी की जांच के लिए डब्लूएचओ की टीम के वुहान जाने पर कई लोगों ने सवाल भी उठाए हैं। लोगों को संदेह है कि इस दौरे का कोई सार्थक परिणाम निकलेगा। उधर चीन, शुरू से ही वुहान से कोरोना की उत्पत्ति की आशंकाओं को निराधार बताता रहा है। चीन इन वैज्ञानिकों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन भी कर सकता है। डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों की यात्रा की पुष्टि करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाऊ लिज़ान ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि चीन वायरस की उत्पत्ति और उसके फैलने के मार्ग का पता लगाने के विश्वभर के विशेषज्ञों के अध्ययन का समर्थन करता है। झाऊ ने हालांकि यात्रा से जुड़ी विस्तृत जानकारियां और उन्हें वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (डब्ल्यूआईवी) में जाने की अनुमति होगी या नहीं, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित कई अन्य विशेषज्ञों ने आरोप लगाया था कि कोरोना की उत्पति वुहान इंस्टीट्यूट से ही हुई थी। डब्ल्यूआईवी ने हालांकि इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इन्हें खारिज कर दिया है। इससे पहले, राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) के उप प्रमुख जेंग यिशिन ने नौ जनवरी को मीडिया से कहा था कि वुहान में टीम के आने के वक्त पर अभी विचार किया जा रहा है। जेंग ने बताया कि चीन और डब्ल्यूएचओ के बीच चार वीडियो कॉन्फ्रेंस में जांच के विशेष बंदोबस्त को लेकर सहमति बनी है। जांच करने आ रहे दल के साथ चीन के विशेषज्ञ भी वुहान जाएंगे। हालांकि, उनके जांच पर चीनी सरकार के दखल की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं।

इससे पहले डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस ने विशेषज्ञों के दल को आवश्यक अनुमतियां नहीं देने पर बीजिंग की आलोचना की थी। इस विशेषज्ञ दल के वहां 14 दिनों तक क्वारंटीन में रहने की भी संभावना है। अभी तक इस घातक वायरस से दुनियाभर में 1,944,711 लोगों की मौत हो चुकी है सबकि संक्रमितों की तादात 90,768,716 पहुंच गई है। फिर भी लोगों को पुख्ता तौर पर यह नहीं पता है कि कोरोना वायरस का संक्रमण कहां से फैला है। डब्लूएचओ पर आरोप लगते रहे हैं कि वह चीन की गोद में खेल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, जो टीम वुहान का दौरा करेगी, उसके चुनाव में भी चीन ने हस्तक्षेप करने का प्रयास किया था। डब्लूएचओ ने विशेषज्ञों की एक सूची चीन को सौंपी थी, जिसमें उन लोगों के नाम शामिल थे जो इस मामले की जांच करेंगे। संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन को अब चीन की मंजूरी मिल चुकी है। द मेल के मुताबिक चीन में इंटरनेट से हुआंग पर हो रही चर्चा ही गायब कर दी जा रही है। हुआंग का नाम 2013 से 2015 के बीच किए गए तीन रिसर्च पेपर पर छपा है जिनमें से एक स्टफाइलोकोकस बैक्टीरिया पर थी। डेलीमेल ऑनलाइन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पश्चिम की सरकारों और खुफिया एजेंसियां भी हुआंग को ढूंढ नहीं पाई हैं क्योंकि चीन की सरकारी लाइन यही है कि वुहान फसिलटी से वायरस नहीं फैलना शुरू हुआ।

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