उत्तर प्रदेश

अपनी लगन से आईआईटी कानपुर पहुंच गईं 36 निरक्षर महिलाएं

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 कानपुर 
अपनी लगन व कड़ी मेहनत की बदौलत गांव की घरेलू व लगभग निरक्षर महिलाएं आईआईटी पहुंच गई हैं। सुनकर हैरानी होगी, मगर यह सच है। हालांकि ये महिलाएं आईआईटी में पढ़ने-पढ़ाने या काम करने नहीं बल्कि हुनर सीखने पहुंची हैं। महिलाओं को आईआईटी की मदद से मुंबई की एक संस्था इंडस्ट्री में प्रयुक्त होने वाली हाईटेक मशीनों पर सिलाई व ड्रेस तैयार करने का प्रशिक्षण दे रही हैं। इसमें करीब 36 से अधिक महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। जल्द इन महिलाओं को एक समूह बनाकर आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी है। 

आईआईटी के उन्नत भारत अभियान की रीता सिंह ने बताया कि लॉकडाउन में हर परिवार पर मुसीबत आन पड़ी थी। इसी बीच ईश्वरीगंज की कुछ महिलाओं ने अपनी मुसीबत साझा की। परिजनों की नौकरी छूटने से दो वक्त की रोटी तक की समस्या खड़ी हो गई थी। ऐसे समय में इन महिलाओं को मास्क बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। ये मास्क लोग खरीदें, इसके लिए यह सुरक्षित होना भी जरूरी था। इसके लिए ई-स्पिन कंपनी के फाउंडर डॉ. संदीप पाटिल की मदद ली और उनकी नैनोटेक्नोलॉजी की एक लेयर का प्रयोग इस मास्क में भी किया गया। महिलाओं ने कुछ ही समय में प्रशिक्षण प्राप्त कर मास्क बनाना शुरू कर दिया। मास्क की गुणवत्ता देख कई कंपनियों ने 500 तो किसी ने 6000 मास्क तक का आर्डर दिया। 

रीता सिंह ने बताया कि मास्क से बहुत अधिक दिन तक काम नहीं चलना था। इससे महिलाएं भी चिंतित होने लगीं। उनकी लगन को देखते हुए मुंबई की संस्था प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन से संपर्क किया और ड्रेस तैयार करने का 15 दिन का प्रशिक्षण शुरू हुआ। इसमें करीब 36 महिलाएं अलग-अलग ग्रुप में हिस्सा ले रही हैं। पहले कागज पर, फिर सामान्य मशीन पर और अब हाईटेक मशीन पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।   

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