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अगले महीने लाल ग्रह की कक्षा में दाखिल हो सकता है तियानवेन-1

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बीजिंग 
चीन के पहले मंगल अन्वेषण यान तियानवेन- 1 ने रविवार सुबह तक 40 करोड़ किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर ली और इसके अगले महीने मंगल की कक्षा में प्रवेश करने की संभावना है। चीन राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) ने बताया कि मंगल पर भेजे गए यान को अंतरिक्ष में अभी तक 163 दिन हो चुके हैं और यह पृथ्वी से 13 करोड़ किलोमीटर दूर और मंगल से करीब 83 लाख किलोमीटर दूर है। सीएनएसए ने बताया कि यान सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है और यह संभवत: करीब एक महीने बाद मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा, जिससे पहले इसकी गति धीमी होगी। चीन ने मंगल ग्रह के बारे में जानकारी जुटाने के उद्देश्य से हैनान द्वीप के वेनचांग अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण केंद्र से 23 जुलाई को अपना यान प्रक्षेपित किया था। तियानवेन-1 यान का वजन पांच टन है और इसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर है। 'तियानवेन-1' मंगल ग्रह का चक्कर लगाने, मंगल पर उतरने और वहां रोवर की चहलकदमी के उद्देश्य से प्रक्षेपित किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यान मंगल ग्रह की मिट्टी, चट्टानों की संरचना, पर्यावरण, वातावरण और जल के बारे में जानकारी एकत्र करेगा। यान के तीन भाग- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर मंगल की कक्षा में पहुंचने के बाद अलग हो जाएंगे। ऑर्बिटर लाल ग्रह की कक्षा में चक्कर लगाकर जानकारी जुटाएगा, जबकि लैंडर और रोवर मंगल की सतह पर उतरकर वैज्ञानिक अनुसंधान करेंगे।

भारत, अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ के बाद चीन भी मंगल पर यान भेजने वाला अगला देश बनना चाहता है। पिछली बार चीन ने 2011 में रूस के साथ मिलकर मंगल ग्रह पर यान भेजने की असफल कोशिश की थी। यह मिशन प्रक्षेपण के कुछ देर बाद ही विफल हो गया था। भारत ने 2014 में अपने पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचकर इतिहास रच दिया था। भारत को छोड़कर कोई अन्य देश अपने पहले ही प्रयास में लाल ग्रह पर पहुंचने में सफल नहीं हो पाया।

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