ड्राई रन : एसएमएस कर बुलाए जाते रहे हितग्राही, कलेक्टर ने जांची-परखी मॉकड्रिल व्यवस्था
रायपुर
कोरोना वैक्सीन के लिए ड्राई रन की शुरूआत शनिवार को सुबह पुरानी बस्ती स्थित सरस्वती स्कूल से की गई सुबह 10 बजे शुरू हुई वैक्सीन ड्राई रन आज सुबह दोपहर 2 बजे तक चली। एसएमएस कर बुलाए गए 7-8 हेल्थ वर्करों को यहां टीके लगाए गए। मॉकड्रिल में एक महिला को बेहोश बताकर तत्काल एंबुलेंस से अंबेडकर अस्पताल भी रवाना किया गया। इस तरह ड्राई रन में टीकाकरण में आने वाली हर दिक्कतों को परखा गया। इस पूरी मॉकड्रील के दौरान की गई व्यवस्था को देखने के लिये स्वंय कलेक्टर एस.भारतीदासन भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में जगह ना होने पर ड्राई रन के लिए पुरानी बस्ती स्थित सरस्वती स्कूल को चुना गया। यहां के तीन कमरों में वैक्सीनेशन के लिए इंतजाम करते हुए ड्राई रन किया गया। सीएमओ डॉ. मीरा बघेल के साथ डॉक्टर, नर्स समेत करीब दर्जनभर मेडिकल स्टाफ की एक टीम मॉकड्रिल में लगी रही। एसएमएस कर बुलाए गए हितग्राहियों को यहां टीके लगाए जाते रहे। इस दौरान एंबुलेंस, सुरक्षा की चुस्त व्यवस्था रखते हुए यह देखा गया कि हितग्राहियों के आने से लेकर टीकाकरण तक कहां-कहां और किस तरह की दिक्कत आ सकती है और इन दिक्कतों को तुरंत कैसे दूर किया जा सकता है।
स्कूल में ड्राई रन के दौरान डॉक्टरों के पास 30 हेल्थ वर्करों की एक सूची रही। इसी सूची के आधार पर एसएमएस कर हेल्थ वर्कर बुलाए जाते रहे। इसमें से कई हेल्थ वर्कर ड्राई रन में वैक्सीनेशन के लिए नहीं पहुंच पाए। जो वर्कर वैक्सीनेशन के लिए पहुंचे, उन्हें सबसे पहले हाथ सैनिटाइज करा पंडाल के नीचे बैठाया गया। इसमें हेल्थ वर्करों के अलावा कुछ मितानिन भी रहीं। पेनकार्ड-आधार कार्ड के हिसाब से उनकी पहचान की गई। मेडिकल स्टाफ ने फिर उनसे स्वास्थ्य की जानकारी लेते हुए चक्कर आने, सर्दी-खांसी, बुखार या अन्य किसी भी तरह की दिक्कत के बारे में पूछा।
जांच में सही हितग्राही पाए जाने पर उसे एक कमरे में भेजा गया, जहां उसके नाम का दिल्ली भेजी गई सूची से कम्प्यूटर पर मिलान किया गया। सब कुछ सही मिलने पर हितग्राही को वैक्सीनेशन रूप में भेजकर वैक्सीन लगाया गया। वैक्सीन लगने के बाद उसे तीसरे कमरे में ले जाया गया, जहां से आधे घंटे बाद उसे बाहर निकाला गया। बताया गया कि टीके लगने के बाद हितग्राहियों को आधे घंटे तक डॉक्टरों की देखरेख में रखा जाएगा। किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना होने पर उन्हें वापस घर भेज दिया गया। वहीं कोई दिक्कत आने या बेहोश होने की स्थिति में एंबुलेंस से उन्हें बड़े अस्पतालों के लिए रवाना किया जाएगा, ताकि वहां उनका तुरंत उपचार हो सके।
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