कम बारिश से खराब हुई 25 प्रतिशत फसल
-शुष्क अंतराल बढ़ने से सोयाबीन और धान को नुकसान

–8 सितंबर तक सूखे की स्थिाति गंभीर होने के हालात
भोपाल। मौसम की बेरूखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। बारिश का अंतराल बढ़ने से सोयाबीन और धान की 25 प्रतिशत तक फसल खराब होना इसकी बड़ी वजह में शामिल है। कृषि उत्पादन में इसका प्रतिकूल इसलिये भी पड़ सकता है क्योंकि हाल-फिलहाल के हालात सूखे जैसी गंभीर स्थिाति में लाकर खड़ा करने वाले हैं। क्योंकि कम बारिश के बीच प्रदेश में अब बारिश के असार सप्ताह भर बाद बन रहे हैं।
यह तब और महत्वपूर्ण हो जाती है जबकि प्रदेश औसत बारिश के आंकड़े से करीब 19 इंच दूर खड़ा है। हालांकि 8 सितंबर के बाद एक बार फिर बारिश के आसार हैं, लेकिन नुकसान की भरपाई को लेकर मौसम विभाग भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। भिंड-मुरैना, सतना, उमरिया, धार, आगर मालवा और नीमच जैसे क्षेत्रों में मिडल ड्राय स्पेल की कगार में खड़े हैं। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो यह स्थिति प्रदेश को सूखे की ओर ले जा सकती है। कम पानी की मार फसल बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। क्योंकि फसल को जहां कीट पतंगे नुकसान पहुंचा रहे होंगे। वहीं दूसरी ओर पानी नहीं मिलने से दाना बनने से पहले यह सूख जाएगी।
इसलिये कम बारिश
प्रदेश में 1 जून से 31 अगस्त तक ओवरऑल 26.05 इंच बारिश हो चुकी है, जबकि अब तक 30.81 इंच बारिश होनी चाहिए थी। मौसम विभाग का कहना है कि अगस्त महीने में 7.94 इंच पानी गिरा है, जबकि 13.15 इंच बारिश होनी चाहिए थी। इस हिसाब से करीब 40 प्रतिशत तक पानी कम गिरा है। बीते दस सालों में यह पहला मौका है जबकि भोपाल में इस बार सबसे कम 4.23 इंच पानी गिरा है। 11 साल में 4 बार ऐसा हुआ, जब 10 इंच से कम बारिश हुई हो। पिछले साल बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। यहां 30 इंच से ज्यादा बारिश हो गई थी।
135 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई खरीफ बुवाई
प्रदेश में इस बार खरीफ बुवाई का रकवा 135 लाख हेक्टेयर तय किया गया है। अब 134.05 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो गई है। इसमें प्रमुख तिलहनी फसल सोयाबीन की बोनी 50 लाख हेक्टेयर है। जबकि धान की बुवाई 28.27 लाख हेक्टेयर में हुई है।
इनका कहना है
बनते-बिगड़ते मौसम से प्रदेश का किसान परेशान है। करीब 25 प्रतिशत सोयाबीन और इतना ही धान की फसल खराब हो गई है। पानी नहीं गिरा तो स्थित बिगड़ सकती है। बड़नगर पहुंचने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संज्ञान में यह विषय संघ लाएगा। किसानों को राहत देने पर विचार करना चाहिये।
कमल सिंह आंजना, प्रदेश अध्यक्ष भारतीय किसान संघ
प्रदेश ड्राई स्पेल से जूझ रहा है। बढ़ता अंतराल फसलों की उत्पादकता पर असर डालेगा। सोयाबीन के लिये सप्ताह में एक दिन पानी की जरूरत है। पर कई जिलों में 15 दिन तक नहीं मिल रहा है। मानसून निर्भर किसानों के लिये यह स्थिति नुकसान की ओर ले जाने वाली है।
डॉ एसआर सिंह, प्रधान कृषि वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र भिंड
प्रदेश में बारिश का दौर फिलहाल 8 सितंबर के आस-पास शुरू होने की संभावना है। औसत बारिश के लिये अभी 19 एमएम पानी की आवश्यकता बनी हुई है। पश्चिम मध्य प्रदेश में 20 प्रतिशत और पूर्वी क्षेत्र में 13 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। वैसे भी सामान्य बारिश की संभावना है।
पीके साहा, सेवानिवृत्त वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक
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