हिरासत में लिए गए किसानों की रिहाई तक नहीं होगी औपचारिक बातचीत: किसान मोर्चे का ऐलान
नई दिल्ली
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध टूटने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसान पिछले करीब दो माह से आंदोलन पर डटे हुए हैं। इसी बीच किसान संगठनों ने सरकार के सामने एक और नई मांग रख दी है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को ऐलान किया कि पुलिस एवं प्रशासन द्वारा 'उत्पीड़न' बंद होने और हिरासत में लिए गए किसानों की रिहाई तक सरकार के साथ किसी तरह की 'औपचारिक' बातचीत नहीं होगी। किसान मोर्चा ने कहा, एसकेएम ने सोमवार को अपनी बैठक में फैसला किया कि किसान आंदोलन के खिलाफ पुलिस एवं प्रशासन की ओर से उत्पीड़न तत्काल बंद किया जाना चाहिए। बयान में कहा गया है, सरकार की तरफ से औपचारिक बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। ऐसे में हम स्पष्ट करते हैं कि गैरकानूनी ढंग से पुलिस हिरासत में लिए गए किसानों की बिना शर्त रिहाई के बाद ही कोई बातचीत होगी।
किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा कि दिल्ली पुलिस ने 122 आंदोलकारियों की सूची जारी की है जिन्हें हिरासत में लिया गया है। उसने कहा कि हिरासत में लिए गए सभी किसानों की रिहाई होनी चाहिए। मोर्चे ने साफ किया कि, सरकार की तरफ से औपचारिक बातचीत को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है। किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के बयान पर कहा था कि तीनों कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए। मोर्चे ने आरोप लगाया कि, कि सड़कों पर कीलें ठोकने, कंटीले तार लगाने, आंतरिक सड़क मार्गों को बंद करने समेत अवरोधक बढ़ाया जाना, इंटरनेट सेवाओं को बंद करना और 'भाजपा एवं आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रदर्शन करवाना' सरकार, पुलिस एवं प्रशासन की ओर से नियोजित 'हमलों' का हिस्सा हैं।
उसने दावा किया कि किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर 'बार-बार इंटरनेट सेवाएं बंद करना' और किसान आंदोलन से जुड़े कई ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करना 'लोकतंत्र पर सीधा हमला' है। उधर लाल किला हिंसा को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हिंसा को लेकर कानून अपना काम करेगा। इसपर पंजाब सरकार या केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार पर किसान संगठनों की ओर से जो आरोप लग रहे हैं, उनका कोई औचितय नहीं है। जो कुछ दिल्ली में हुआ, उसको पूरे देश ने देखा है। किसी के बोल देने से किसी पर आरोप नहीं चिपक जाता। हिंसा की जांच एजेंसियां कर रही हैं, ये उनका काम है। तोमर ने कहा कि मैं किसानों से अपील करना चाहता हूं कि वह तुरंत आंदोलन खत्म करें।
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