नई दिल्ली
देश में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के बीच स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेना जरूरी हो गया है। यह न सिर्फ आपको और आपके परिवार को वित्तीय सुरक्षा देता है बल्कि इलाज के भारी-भरकम खर्चों से भी बचाता है। खास बात है कि टैक्स छूट दिलाने में भी अहम भूमिका निभाता है।
आयकर कानून की धारा 80डी के तहत व्यक्तिगत करदाता और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
जानकारों का कहना है प्रीमियम भुगतान पर दो तरीके से टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। पहला… खुद के लिए, पति या पत्नी और निर्भर बच्चों के स्वास्थ्य बीमा के लिए चुकाए प्रीमियम पर टैक्स छूट ले सकते हैं। दूसरा… अपने माता पिता की पॉलिसी के लिए भरे गए प्रीमियम पर भी क्लेम ले सकते हैं, भले ही वे वित्तीय रूप से आप पर निर्भर हों या न हों।
नियमित स्वास्थ्य बीमा के अलावा करदाता 80डी के तहत प्रिवेंटिव स्वास्थ्य जांच पर खर्च के लिए भी 5000 रुपये तक छूट का दावा कर सकता है। हालांकि यह खर्च सीमा के दायरे में होना चाहिए।
अगर किसी करदाता और उसके माता-पिता दोनों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है और करदाता एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी अपने जीवनसाथी-बच्चों और दूसरी पॉलिसी अभिभावकों के लिए खरीदता है तो दोनों ही पॉलिसी पर 50,000-50,000 रुपये तक छूट का दावा किया जा सकेगा। इस तरह कुल मिलाकर अधिकतम एक लाख रुपये तक की बचत की जा सकती है। हालांकि, हर मामले में शर्त यह है कि पॉलिसी की प्रीमियम का भुगतान कैश में न किया गया हो।
इन बातों का रखें ध्यान
- सही पॉलिसी चुनने के लिए विभिन्न बीमा कंपनियों के अलग-अलग प्लान का विश्लेषण और उनकी तुलना जरूर करें।
- नामी बीम कंपनी से पॉलिसी खरीदें, जो आपकी जरूरत के अनुरूप हो और जिसकी सुविधा एवं क्लेम सेटलमेंट रिकॉर्ड बहुत अच्छा हो।
- किफायती स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी हमेशा आपके लिए अच्छी नहीं हो सकती।
- आखिरी फैसला लेने से पहले शर्तों को समझने के लिए पॉलिसी दस्तावेज को ध्यान से पढ़े।
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