सीमेंट निर्माण के लिए फ्लाई ऐश और बॉक्साइट अवशेषों के उपयोग पर राष्ट्रीय कार्यशाला
बलौदाबाजार
एल्युमीनियम और मूल्य वर्धित उत्पादों की सबसे बड़ी उत्पादक वेदांता एल्युमीनियम बिजनेस नेकम कार्बन वाले सीमेंट निर्माण में अपने उप-उत्पादों के उपयोग के लिए सीमेंट उत्पादकों को साझेदारी के लिए आमंत्रित किया है। कंपनी ने वैश्विक उद्योग विशेषज्ञों के साथ आयोजित राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला में सीमेंट निर्माण में फ्लाई ऐश (थर्मल पावर उत्पादन में एक उप-उत्पाद) और बॉक्साइट अवशेष (बॉक्साइट से एलुमिना के उत्पादन का एक उप-उत्पाद) के उपयोग के लिए सीमेंट उद्योग की बड़ी कंपनियों के साथ दीर्घकालिक सहयोग में अपनी रुचि व्यक्त की।
वेबिनार में वेदांता एल्युमीनियम बिजनेस के सीईओ राहुल शर्मा ने कहा कि उद्योगों को वास्तव में सस्टेनेबल बनने के लिए वेस्ट-टु-वेल्थ की वैल्यू चेन विकसित करनी चाहिए। इस दिशा में वेदांता ने उत्साहजनक प्रगति की है और इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं। वेदांता और भारत के प्रमुख सीमेंट उत्पादकों के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोग न केवल सिस्टम से औद्योगिक कचरे को कम करेगा, बल्कि सीमेंट उद्योग को गुणवत्ता, सस्टेनेबिलिटी व लागत के मोर्चे पर तिहरा लाभ भी मिलेगा। उम्मीद है कि भारतीय सीमेंट निमार्ता इस अभिनव समाधान पर हमारे साथ काम करने के लिए आगे आएंगे, जो उद्योग और पर्यावरण दोनों के लिए बेहतर है।
सीमेंट उद्योग ज्यादा सस्टेनेबल तरीके से सीमेंट का उत्पादन करने के लिए व्यवहार्य समाधान तलाश रहा है। यह उद्योग वेदांता एल्युमीनियम के लिए एक बेहतर सर्कुलर इकोनॉमी पार्टनर है। फ्लाई ऐश और बॉक्साइट अवशेष एल्युमीनियम उद्योग के दो सबसे बड़े उप-उत्पाद हैं, जिनका उपयोग सीमेंट और कंक्रीट निर्माण में किया जा सकता है। इससे सीमेंट निमार्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, लागत और सस्टेनेबिलिटी के मामले में लाभ होता है। फ्लाई ऐश कंक्रीट में आंशिक रूप से सीमेंट की जगह ले सकता है (या ब्लेंडेड सीमेंट का उत्पादन करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है) और सीमेंट के टिकाऊपन को बढ़ाता है। 30-33 प्रतिशत ब्लेंडिंग अनुपात से फ्लाई ऐश प्रत्येक टन सीमेंट उत्पादन में 270 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद कर सकता है। क्लिंकर निर्माण के लिए कच्चे मिश्रण में बॉक्साइट अवशेषों को वर्जिन बॉक्साइट की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे इसके हाइड्रोलिक गुणों और मजबूती में सुधार होता है। आयरन आॅक्साइड और एलुमिना की उच्च मात्रा के कारण बॉक्साइट अवशेष लेटराइट का एक बेहतर विकल्प है, जिसका उपयोग क्लिंकर निर्माण में किया जाता है। इसके अलावा, बॉक्साइट अवशेष में पाया जाने वाला अवशिष्ट कास्टिक सीधे उपयोग किए जाने पर सल्फर के उत्सर्जन को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। इसलिए भी यह इस काम में प्रयोग के लिए बेहतर है। फ्लाई ऐश और बॉक्साइट अवशेष दोनों ही औद्योगिक अपशिष्ट होने के कारण लागत कम करते हैं और इनके निर्माण में अतिरिक्त ऊर्जा खर्च नहीं होती है।
वेदांता एल्युमीनियम की तकनीकी कार्यशाला में सीमेंट उद्योग के सौ से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया और इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध विशेषज्ञों श्रीश खादिलकर, भारत के प्रमुख सीमेंट उत्पादकों में से एक में गुणवत्ता एवं उत्पाद विकास के पूर्व निदेशक और रॉबिन डी बीयर, कंक्रीट में फ्लाई ऐश के लाभकारी उपयोग में 40+ वर्षों के अनुभव के साथ दक्षिण अफ्रीका के एक कंक्रीट टेक्नोलॉजिस्ट को शामिल किया गया था।
अपने विचार एवं उद्योग से जुड़े अनुभव को साझा करते हुए रॉबिन डी बीयर ने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाली फ्लाई ऐश पानी की जरूरत को कम करने, हाइड्रेशन में कम गर्मी और कंक्रीट की कार्य क्षमता को बढ़ाने में मददगार हो सकती है, जिससे लंबे समय तक मजबूती और टिकाऊपन सुनिश्चित होता है। श्रीश खादिलकर ने कहा कि सीमेंट निर्माण में बॉक्साइट अवशेषों के कई फायदे हैं, जैसे लेटराइट/बॉक्साइट की तुलना में इसमें कम सिलिका, ज्यादा एल्कली कंटेंट और महीन कण होते हैं, जिसे ग्राइडिंग की लागत कम होती है। यह सीमेंट के हाइड्रोलिक गुण में भी सुधार करता है। भारतीय सीमेंट उद्योग को गुणवत्ता और सस्टेनेबिलिटी के लिए इस अभिनव अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
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