जीवन शैली

वर्क फ्रॉम होम का बढ़ता कल्चर बिगाड़ रहा मानसिक स्वास्थ्य

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नई दिल्ली
 लंबी अवधि तक बैठकर काम करना आजकल जीवनशैली का हिस्सा सा बनता जा रहा है। खासतौर पर कोरोना वायरस महामारी के आने के बाद जब लॉकडाउन लगाया गया तो संस्थानों ने अपने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम (घर से काम करना) को विकल्प के रूप में चुना और बड़ी संख्या में यह अब आदत का हिस्सा है। लेकिन वर्क फ्रॉम होम से जहां काम में आसानी हुई लेकिन लोग घर पर रहने के चलते लगातार बैठे रहते हैं और यह बड़ी समस्या साबित हो रहा है। अब एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि बहुत देर तक बैठना आपके मानसिक स्वास्थ्य और सेहत पर बुरा असर डालता है। 

हर्ड्सफील्ड यूनिवर्सिटी ने लंबे समय तक काम पर बैठने वाले लोगों को लेकर एक अध्ययन किया जिसमें पाया गया कि जो लोग आठ घंटे से अधिक समय तक बैठकर काम करते हैं या फिर वर्क फ्रॉम होम के चलते लंबे समय से घर पर ही रह रहे हैं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका हानिकारक असर पड़ा है। 300 लोगों पर अध्ययन अध्ययन में 300 लोगों को लेकर एक अध्ययन किया गया जो बहुत अधिक समय तक बैठकर काम कर रहे थे। इनमें 50 प्रतिशत से अधिक ऐसे थे जो दिन में 8 घंटे से अधिक समय तक बैठे थे। 

अध्ययन में पाया गया कि बैठने का समय, कुछ जनसांख्यिकी और पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियों के साथ, मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले मुख्य कारक में था। रूटीन में शामिल करें एक्सरसाइज अध्ययन से ये भी पता चला है कि यदि आप आठ घंटे से अधिक समय तक बैठते हैं, तो आपको अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अधिक समय तक व्यायाम करने की आवश्यकता होती है। इसमें कहा गया है कि ऐसी स्थिति में आपको फिट रहने के लिए आदर्श स्थिति तो यह है कि आप प्रतिदिन 60 मिनट एक्सरसाइज करें लेकिन अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो 30 मिनट से अधिक समय तक हर हालत में करने की सलाह दी जाती है। 

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