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 लूजेन हुई रिहा, जेल में हुआ यौन शोषण, किस-सेक्स को किया गया मजबूर

 नई दिल्ली 
सउदी अरब में महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली राजनीचिक एक्टिविस्ट लूजेन-अल-हथलऊल को आखिरकार रिहाई मिल गई। बुधवार को 1001 दिन बाद उन्हें जेल से बाहर कर दिया गया. बताया गया है कि जेल में उनके साथ यौन शोषण भी हुआ और उन पर जुल्म किए गए. लूजेन लगभग तीन साल तक जेल में रही। बता दे कि लूजेन को महिलाओं के ड्राइविंग के हक में आवाज उठाने के लिए 2018 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।अंतर राषअट्रीटीय स्तर पर सऊदी अरब की इसके  लिए आलोचना हुई और मानवाधिकारों को दबाने के आरोप भी लगते रहे।  

लूजेन रिहा तो हो गई लेकिन जेल में उनके अनुभव दिल दहला देने वाले हैं, दावा किया जा रहा है कि डेल में उन्हें तमाम तरह की यातनाएं दी गईं और उनके साथ यौन शोषण हुआ।मानवाधिकार की वकील बैरोनेस हेलेना केनेडी ने अपनी पहली एक रिपोर्ट में लिखा है कि महिला अधिकारों की बात करने वाली लुजेन समेत कई कार्यकर्ताओं को जेल में किस करने और सेक्ट पर्फॉर्म करने के लिए मजबूर किया जाता था।

बताया गया है कि उन्हें जबरदस्ती पोर्नोग्राफी देखने के लिए मजबूर किया गया था, बलात्कार की धमकी दी गई थी, छत से लटका दिया गया था, पीटा गया था और इलाज के दौरान बिजली के झटके लगे थे।लूजेन केस चलने से पहले ही प्री ट्रायल में 1001 दिन जेल के भीतर बिताए. उन पर बदलाव के लिए आंदोलन करने, इंटरनेट का उपयोग करके अव्यवस्था पैदा करने और विदेशी एजेंडे चलाने  जैसे अपराधों का आरोप लगाया गया था।

उनकी रिहाई पर ईरानी अधिकारियों ने कोई टिप्पणी नहीं की है और जेल से बाहर आने के बाद से लूजेन ने भई चुप्पी साध रखी है. ऐसा माना जा रहा है कि जेल से बाहर आने के लिए ये उनकी शर्त हो सकती है जिसे वो अब पूरा कर रही है। उनकी रिहाई की उम्मीद मार्च में की जा रही थी, न्यायधीश ने उनकी दो साल 10 महीने की सजा को खत्म कर दिया था।

अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने सऊदी के ऊपर दबाव बनाया था। उन्होंने मानवाधिकारों को कायम करने पर जोर देते हुए कड़ा संदेश दिया जिसमें उन्होंने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के समय की तरह इस तरह के उल्लंघन खास तौर पर महिला ऐक्टिविस्ट के खिलाफ हो रही कार्रवाई को नजरअंदाज नही किया जाएगा. यहां तक लूजेन के रिहा होने के बाद भी जो बाइडन ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें एक शक्तिशाली महिला कार्यकर्ता बताया। उन्होंने कहा, "मेरे पास एक वेलकम न्यूज है सऊदी सरकार ने एक प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता को रिहा कर दिया है।" वह महिलाओं के अधिकारों के लिए एक सशक्त कार्यकर्ता थीं और उन्हें रिहा करना सही काम है।'

सऊदी अरब ने 2018 में महिलाओं की ड्राइविंग पर लगे बैन को हटा दिया था लेकिन इसको लेकर क्राउन प्रिंस मोहम्मज बिन सलमान पर दोहरी रणनीति के आरोप लगते रहे हैं. कहा जाता है कि एक तरफ जहां ड्राइविंग बैव को हटाया गया वहीं दूसरी ओर बदलाव के लिए आवाज उठा रही महिलाओं को जेल में डाल दिया गया।
संयुक्त राष्ट्र ने लूजेन की तरह दूसरी महिला कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की है। साथ ही ये भी कहा है कि उनके खिलाफ लगे सभी चार्ज खत्म किए जाएं।प्रिंस के शासन पर उनके खिलाफ आवाज उठाने वालों और आलोचकों की आवाज को दबाने के आरोप तेज होने लगे हैं। खासकर पत्रकार जमाल खशोगी के मर्डर के बाद जिसे लेकर इंटरनेशलन लेवल पर आवाजे उठने लगी।

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