नई दिल्ली
असल में, पड़ोसी देश ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से तैयार किए गए कोविशील्ड को देश में टीकाककरण के लिए चुना है। लेकिन भारत में इसके उत्पादन की वजह से इमरान खान सरकार दुविधा में फंस गई है। एक तरफ उसके लिए नाक का सवाल है तो दूसरी तरफ जनता की जान का। पाकिस्तान ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए जिस टीके को सबसे पहले मंजूरी दे दी है, उसे पाने के लिए वह तरह-तरह के जुगाड़ तलाश रहा है। पाकिस्तान की सरकार बीच का रास्ता तलाशने में जुटी है।
एक तरफ उसे कोवाक्स प्रोग्राम के तहत वैक्सीन का इतंजार है तो इमरान ने खुद को वैक्सीन खरीद से दूर करते हुए राज्यों और प्राइवेट सेक्टर को दूसरे देशों से बात करने की छूट दे दी है।पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन के ऑनलाइन संस्करण में दी गई खबर के मुताबिक, ड्रग रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान (DRAP) ने एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 को इमर्जेंसी यूज के लिए मंजूरी दे ती है, जबकि चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्मा के टीके को अगले दो सप्ताह में मंजूरी दी जा सकती है। डॉन ने लिखा है कि यह टीका पाकिस्तान को द्वीपक्षीय समझौते के तहत नहीं मिल सकता है, क्योंकि इसका निर्माण भारत में हो रहा है। लेकिन इस मंजूरी से कोवाक्स प्रोग्राम के तहत मिलने वाले टीके का रास्ता साफ हो गया है।
डब्ल्यूएचओ की इस वैश्विक पहल से पाकिस्तान को 20 फीसदी आबादी के लिए मुफ्त टीका मिलेगा। डॉन ने प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. फैजल सुल्तान से भी वैक्सीन को मिली मंजूरी की पुष्टि की है। हालांकि, उनसे जब पूछा गया कि इसका निर्माण भारत में हो रहा है तो क्या यह द्वीपक्षीय समझौते के तहत मिल पाएगा? डॉ. सुल्तान ने कहा कि रजिस्ट्रेशन का उपलब्धता या खरीद से मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, ''हमने इसे मंजूरी इसलिए दी है क्योंकि इसका प्रभाव 90 फीसदी से अधिक है। हम वैकल्पिक बंदोबस्त से इसे लेने का प्रयास करेंगे। इससे अहम यह है कि इससे हम कोवाक्स के जरिए टीका ले पाएंगे, क्योंकि DRAP की मंजूरी के बिना यह संभव नहीं है।'' हालांकि, इरमान खान के विशेष सलाहकार का ध्यान जब भारत के साथ ट्रेड बैन की ओर खींचा गया तो उन्होंने कहा कि जीवनरक्षक दवाओं का आयात किया जा सकता है।
डॉ. सुल्तान ने कहा, ''यह सच है कि जिस देश ने विज्ञान में निवेश किया है वे पहले अपने लोगों के लिए वैक्सीन का उत्पादन करेंगे। लेकिन हम इसे लेने का प्रयास करेंगे। हम कुछ और वैक्सीन को मंजूरी देने जा रहा है, जिसमें सिनोफार्मा का टीका भी शामिल है, क्योंकि हमारी आबादी बड़ी है और हमें कई देशों से वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी।'' हालांकि, पाकिस्तान यह जानता है कि चीनी वैक्सीन भारतीय वैक्सीन के मुकाबले काफी महंगी है। पाकिस्तान की इमरान खान सरकार जानती है कि कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ जंग जीतने के लिए उसे भारत से मदद लेनी ही होगी, क्योंकि दुनिया के बड़े-बड़े देश भी भारत से ही सहायता मांग रहे हैं। भारत में मंजूर दोनों ही टीके दुनिया के दूसरे टीकों से काफी सस्ते हैं, इसलिए भी इरमान खान सरकार इन्हें लेना चाहेगी।
लेकिन पाकिस्तान सरकार के लिए मुश्किल यह है कि आतंकवाद और भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देते रहने की वजह से भारत के साथ रिश्ता बेहद खराब है और इमरान खान मोदी सरकार के सामने मदद की गुहार लगाने से हिचक रहे हैं। इस बीच पाकिस्तान सरकार ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश के तहत प्रांतीय सरकारों और निजी सेक्टर को विदेशों से टीका खरीदने की छूट दे दी है।
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