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मददगारों की तलाश तेज, अजीजुलहक के जरिए क्या टेरर फंडिंग नेटवर्क को खोज पाएगी यूपी एटीएस? 

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 लखनऊ  
जाली दस्तावेजों के जरिए भारत में रह रहे म्यांमार के नागरिक अजीजुलहक के जरिए एटीएस टेरर फंडिंग का नेटवर्क तलाश रही है। एटीएस ने गुरुवार को उसे कोर्ट में पेश कर सात दिनों की कस्टडी रिमांड हासिल कर ली। शुक्रवार को सुबह 10 बजे से उसकी रिमांड शुरू हो जाएगी। इस बीच एटीएस की एक टीम मुंबई भेजी गई है। जाली दस्तावेज तैयार कराने में मददगार रहे लोगों की भी तलाश जारी है। जल्द ही कुछ लोग गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। 

गुरुवार को अजीजुलहक को एटीएस की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनील कुमार द्वितीय ने उसे न्यायिक हिरासत में भेजते हुए शुक्रवार से सात दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर कर दी। एटीएस अब कल से पूछताछ शुरू करेगी। इस बीच प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि वह करीब तीन साल तक मुंबई में रहा है। उसके बैंक खातों में मुंबई से पैसे भी ट्रांसफर किए गए हैं। इस सूचना के आधार पर एटीएस की एक टीम मुंबई भेजी गई है। बैंक खातों में अन्य प्रांतों व विदेशों से आए धन के स्रोत की भी जानकारी जुटाई जा रही है। 

एटीएस ने करीबियों के यहां छापों में मिली जानकारी के आधार पर भी कार्रवाई शुरू कर दी है। सबसे पहले तो उसके वे मददगार निशाने पर हैं, जिन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में मदद की। बुधवार को एटीएस ने बखिरा ब्लॉक के एक तकनीकी सहायक को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। राशन कार्ड समेत अन्य दस्तावेज बनवाने में मदद करने वाले भी एटीएस के रडार पर हैं।

इससे पहले एटीएस को सहयोगी एजेंसियों से अजीजुलहक के बारे में खुफिया इनपुट मिला था। इस सूचना के आधार पर निगरानी में चल रहे अजीजुलहक को आखिरकार बुधवार को संतकबीनगर जिले के बखिरा थाना क्षेत्र स्थित नौरा गांव से गिरफ्तार किया था। एटीएस ने बुधवार को संतकबीनगर जिले में दो स्थानों के अलावा अलीगढ़ समेत प्रदेश के अन्य जिलों में भी छापे मारे। इसके अलावा महाराष्ट्र समेत कई प्रांतों से भी संपर्क किया। गिरफ्तारी के समय दो पासपोर्ट बरामद होने से अजीजुलहक तत्काल संदेह के दायरे में आ गया था। इन दोनों पासपोर्ट पर वह सऊदी अरब व बांग्लादेश की यात्रा भी कर चुका है। 

वर्ष 2001 में बांग्लादेश के रास्ते भारत में आने के बाद अजीजुलहक ने संतकबीरनगर जिले के नौरो गांव निवासी बदरे आलम के बेटे के रूप में अपना राशन कार्ड बनवाया था। इसके बाद वर्ष 2017 में वह अपनी मां आबिता खातून, बहन फातिमा खातून तथा दो भाइयों जियाउलहक और मो. नूर भी भारत ले आया और उनके भी फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। इस बीच बदरे आलम ने एटीएस के सामने स्वीकार किया कि अजीजुलहक उसका रिश्तेदार भी नहीं है। उसने अनाथ समझकर अजीजुलहक की मदद की थी। हालांकि एटीएस को उसकी और उसके बेटे की भूमिका की जांच कर रही है। बदरे आलम ने बताया कि उसका बेटा मुंबई में रहता है। अजीजुलहक उसी के माध्यम से संपर्क में आया था। 
 

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