बड़े बच्चों को जब भी भूख लगती है, वो बोलकर आपको बता देते हैं लेकिन नन्हे शिशु की बात और जरूरत को समझना मुश्किल होता है क्योंकि ये सिर्फ रोकर ही अपनी बात कहते हैं और अभी इन्होंने बोलना शुरू नहीं किया होता है।
नवाजात शिशु बोलकर अपनी बात नहीं की सकता है लेकिन वो कुछ संकेतों की मदद से आपको अपनी जरूरत के बारे में जरूर बताता है। अब आपको उसकी बात समझनी होगी।
पहली बार पेरेंट बने
अगर आप पहली बार पेरेंट बने हैं, तो शिशु की भाषा को समझना आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। शुरुआत में आपको इसमें दिक्कत हो सकती है लेकिन धीरे-धीरे आप सब सीख जाएंगे।
शिशु की बात समझने में सबसे ज्यादा दिक्कत आती है कि बच्चे को कब भूख लगी है। अगर आपका बच्चा यहां बताए गए कुछ संकेत दे रहा है, तो समझ लें कि उसे भूख लगी है।
शिशु से मिलने वाले कॉमन साइन
अगर बच्चा जागा हुआ है और एलर्ट दिख रहा है, तो यह इस बात का साफ संकेत है कि उसे भूख लगी है।
आपकी अटेंशन पाने के लिए शिशु अपने शरीर को हिलाता है। वो अपने पैर और हाथ इधर-उधर मारेगा।
कैसे समझें शिशु के संकेत
यदि शिशु लगातार अपनी उंगलियों को मुंह में ले रहा है, तो समझ लें कि उसे दूध पीना है।
जब बच्चे को बहुत तेज भूख लगती है, तब वो अपना सिर हिलाने लगता है। बेचैन होने पर बच्चा मुंह भी बनाने लगता है।
तेज से रोने का भी यही मतलब है कि शिशु को भूख लगी है। भूख लगने का यह सबसे स्पष्ट संकेत होता है।
दूध पीने के बाद भी रोए तो
नन्हा शिशु रोकर ही अपनी बात कहता है और भूख लगने का सबसे स्पष्ट संकेत भी वो रोकर ही देता है लेकिन कई बार शिशु के रोने की कोई और वजह भी हो सकती है। अगर दूध पीने के बाद भी बच्चा रो रहा है, तो इसके पीछे कोई और कारण हो सकता है।
कई शिशु दूध पीने के बाद सोना चाहते हैं इसलिए दूध पिलाने के बाद बच्चे को सुलाने की कोशिश करें।
शिशु के रोने के कारण
आमतौर पर शिशु दिन में सबसे ज्यादा बार भूख लगने पर ही रोता है। वो रोकर आपको यह बताने की कोशिश करता है कि उसे भूख लगी है और दूध पीना है। लेकिन हर बार या हर रोज शिशु भूख की वजह से ही रो रहा है, ये जरूरी नहीं है।
पेट दर्द या गैस की वजह से भी शिशु रो सकता है। कई घंटों तक शिशु के रोने की वजह कोलिक पेन भी हो सकता है। अगर आपको शिशु के रोने की वजह समझ नहीं आ रही है तो एक बार डॉक्टर को दिखा लें।
डॉक्टर को कब दिखाएं
अगर बच्चा कुछ दिनों से लगातार रोकर भूख लगने का संकेत दे रहा है, तो आपके एक बार पीडियाट्रिशियन को दिखा लेना चाहिए। वहीं अगर शिशु को बहुत ज्यादा नींद आ रही है या दूध पिलाने के लिए हर समय आपको उसे उठाना पड़ता है, तो भी आपको डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए।
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