पटना
कालाबजारी रोकने के लिए खरीफ में चले अभियान का असर रबी तक भी नहीं टिक सका। नतीजा है कि गेहूं की सिंचाई कर चुके किसान ऊंची कीमत देकर यूरिया खरीदने को विवश हैं। बिहार में खाद की कालाबजारी रुक नहीं रही है। उनकी लागत भी बढ़ जा रही है।गेहूं की बुआई तो किसान मिक्सचर खाद के साथ करते हैं लेकिन पहली सिंचाई के साथ ही यूरिया की मांग तेज हो गई। उधर केन्द्र सरकार ने नवम्बर और दिसम्बर में ही यूरिया की आपूर्ति कम कर दी थी।
हालांकि मुख्यालय की समीक्षा के दौरान सभी डीलरों के पॉश मशीन में खाद का स्टॉक दिख रहा है। लेकिन सच यह है कि डीलर कमी बताकर अधिक कीमत वसूल रहे हैं। कई जिलों में कालाबाजारी से किसान परेशान हैं। उत्तर बिहार के किसानों का कहना है कि उनसे यूरिया के लिए प्रति पैकेट सौ रुपये तक अधिक वसूले जा रहे हैं। कैमूर जिले में भी डीलर 330 से 350 रुपये प्रति बैग यूरिया बेच रहे हैं। कीमत 266 रुपये प्रति बैग है। नालंदा, सासाराम व नवादा के किसानों को भी अधिक कीमत देनी पड़ रही है।
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