बच्चों को सिर्फ इस उम्र में देने चाहिए गैजेट्स, पहले देना पड़ सकता है भारी
आप मानें या मानें लेकिन टेक्नोलॉजी के आने के बाद बच्चे हमसे दूर और फोन, कंप्यूटर और गैजेट्स के करीब चले गए हैं। इन सबकी वजह से बच्चे घर से बाहर खेलने नहीं जाते और दिनभर सोफे या पलंग पर ही बैठे रहते हैं। ऐसे में फिजिकल एक्टिविटी की कमी की वजह से बच्चों की सेहत भी खराब होती है।
माना कि बच्चों के लिए गैजेट्स का इस्तेमाल करना आजकल नॉर्मल बात हो गई है और अब इसका ट्रेंड चल रहा है लेकिन फिर भी पेरेंट्स को यह पता होना चाहिए कि बच्चों के हाथ में गैजेट्स थमाने से पहले ये जान लेना चाहिए कि इन चीजों को चलाने के लिए बच्चे की सही उम्र क्या है।
काम के भी निकल जाते हैं
डॉक्टर कैरोलीन जेंस का कहना है कि तीन साल की उम्र तक कई बच्चे एक्टिव मीडिया यूजर बन जाते हैं और उन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ पढ़ाई करने का भी मौका मिलता है। इस वजह से बच्चों के लिए कई बार गैजेट्स काम के भी निकल जाते हैं।
बच्चों को कब दें गैजेट्स
दो साल के होने से पहले बच्चे को गैजेट्स नहीं देने चाहिए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलकर और खिलौने के बीच ही बच्चे अपने आसपास की दुनिया को जान पाते हैं और गैजेट्स उन्हें इस चीज से दूर कर देते हैं।
इस तरह बच्चे रियल वर्ल्ड के एक्सपीरियंस से महरूम रह जाते हैं। इसलिए जितनी देर से आप बच्चे को गैजेट्स देंगे, उसके लिए उतना ही अच्छा है।
पेरेंट्स की देखरेख है जरूरी
बच्चों को स्मार्टफोन, टैबलेट या कंप्यूटर पेरेंट्स की देखरेख में ही देने चाहिए। जब बच्चा इनका इस्तेमाल कर रहा होता है, तब पेरेंट्स बच्चे के एक्सपीरियंस और यूज को सही दिशा में लेकर जा सकते हैं।
जब बच्चा कोई नई ऐप या प्रोग्राम देखे, तो आप उससे पूछ सकते हैं कि कैसे ये ऐप और बेहतर हो सकती है या उस शो में क्या चल रहा है। इससे पेरेंट्स को पता चलता है कि बच्चे के दिमाग में क्या चल रहा है।
बच्चों पर गैजेट्स का गलत असर
गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत प्रभावित हो सकती है। जो बच्चे खेलने के समय में गैजेट्स में लगे रहते हैं, तो वो अपनी उम्र के हिसाब से जरूरी फिजिकल एक्टिविटी नहीं कर पाएंगे। इससे बच्चे को मोटापे जैसी स्वास्थ्य परेशानियां हो सकती हैं।
देखा गया है कि जो बच्चे अपना ज्यादातर समय गैजेट्स पर बिताते हैं, उनके व्यवहार में गुस्सा ज्यादा देखा जाता है। वहीं ज्यादा देर तक स्क्रीन पर चिपके रहने से बच्चे की आंखें भी खराब हो सकती हैं।
गैजेट्स का दुष्प्रभाव
गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चे अपनी उम्र के दूसरे बच्चों के साथ कम खेलते हैं और दोस्त भी कम बनाते हैं। इससे उनकी सोशल लाइफ और स्किल्स प्रभावित होते हैं।
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