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बच्चे की प्लानिंग भी नहीं कर पा रहे लोग, आवाज कुचलने के लिए ऐक्शन में शी जिनपिंग सरकार

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बीजिंग
चीन बहुत बड़े रोजगार संकट में उलझ गया है। वहां बेरोजगार युवाओं में निराशा बढ़ती जा रही है और जिन युवाओं को काम मिला हुआ है, वह भी अपने काम से संतुष्ट नहीं हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि यह संकट इतना गंभीर हो चला है कि युवा दंपतियों ने बच्चों की प्लानिंग भी टाल दी है और छोटा फ्लैट खरीदने का भी सपना, कल्पना से बाहर होता जा रहा है। स्थानीय सोशल मीडिया पर जो युवा इस मसले को उठाना चाह रहे हैं, शी जिनपिंग सरकार उन सोशल मीडिया ग्रुपों पर भी सख्ती शुरू कर चुकी है।

 चीन अब अपने युवाओं की निराशा को छिपाने की मशक्कत में जुट गया है, लेकिन उसकी लाख कोशिशों के बावजूद वहां की बेरोजगारी संकट छिप नहीं पा रही है। बेरोजगारों की तादाद लगातार बढ़ रही है, जो लोग किसी काम धंधे में लगे भी हुए हैं वो भी दफ्तर के तनावपूर्ण माहौल और काम के भारी-भरकम घंटे को झेल नहीं पा रहे हैं। अमेरिकी मैगजीन न्यूजवीक के लिए जियानली यंग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मई, 2021 में बेरोजगारी की दर 5 फीसदी के आसपास तक पहुंच गया था। लाखों ग्रैजुएट घर पर बैठने को मजबूर हैं और बाजार में उनके लायक रोजगार नहीं है। अगर 16 से 24 के आयु वर्ग के बीच बेरोजगारी दर को देखें तो यह 13.8 फीसदी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार है भी तो इनमें से ज्यादातर के पास उसके लिए हुनर नहीं है। हालांकि, कुशल श्रमिकों के लिए भी बाजार में बहुत ज्यादा अवसर नहीं है। लेकिन दो हफ्ते पहले चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संबोधन में इस संकट को बहुत ही चतुराई से नजरअंदाज कर दिया गया था।
 
चीन की बेरोजगारी शहरी क्षेत्रों में ज्यादा महसूस की जा रही है। क्योंकि, ज्यादातर ग्रैजुएट सर्विस सेक्टर की ओर रुख कर रहे हैं, जो कोरोना महामारी के चलते बहुत ही धीमी है। जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रिकवरी रेट तो ज्यादा है, लेकिन उसके लिए स्किल्ड कामकारों का अभाव है। पिछले अप्रैल में चीन के स्टैटिस्टिक्स ब्यूरो ने 90,000 कंपनियों का सर्वे किया था, जिनमें 44 फीसदी कुशल कारीगरों की कमी का रोना रो रहे थे। लेकिन, ठहरिए ! चीन के लिए इस साल यह संकट पहाड़ साबित हो सकता है। क्योंकि, इस साल करीब 1.40 करोड़ और नए युवाओं को शहरों में रोजगार की दरकार पड़ने वाली है। इनमें से आधे से ज्यादा ग्रैजुएट होंगे, लेकिन उनके लायक नौकरियां नहीं होंगी।

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