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फाइजर की कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल का रास्ता खुल गया, Pfizer-BioNTech की कोरोना वैक्सीन को WHO ने दी मंजूरी

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नई दिल्ली
डब्लूएचओ से इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद दुनियाभर के देशों में फाइजर की कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल का रास्ता खुल गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। फाइजर के वैक्सीन को इजाजत देने के बाद WHO ने कहा है कि वो दुनियाभरस में स्थित अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के जरिए वहां के देशों से इस वैक्सीन के फायदे के बारे में बताएंगे। साल 2021 के पहले दिन WHO ने कोरोना वैक्सीन पर ये गुड न्यूज दी है। इसी के साथ भारत भी कोरोना वायरस के वैक्सीन के इमरजेंसी यूज को लेकर आज बड़ा फैसला करने वाला है। भारत आज (1 जनवरी 2021) को वैक्सीन की मंजूरी पर बड़ी बैठक करने वाला है। 

रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी शुक्रवार को वैक्सीन की अनुमति को लेकर बड़ी बैठक करेगी। इस बैठक में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, फाइजर और भारत बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज की अनुमति मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। डब्लूएचओ ने फाइजर की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी देने के बाद कहा है कि वो इसकी पूरी और विस्तृत जांच भी करेगी।

 WHO ने कहा है कि दुनिया के गरीब देशों तक कोरोना का टीका जल्द से जल्द से पहुंचाने के लिए हमें इमरजेंसी यूज लिस्टिंग प्रॉसेस को भी शुरू कर दिया है। इस लिस्ट में शामिल होने के बाद किसी भी कोविड-19 के वैक्सीन के विश्वभर के किसी देश में इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाती है।

डब्लूएचओ की एक्सेस टू मेडिसिन प्रोग्राम की प्रमुख मारियांगेला सिमाओ ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन सभी देशों तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वैक्सीन का वितरण देश की आबादी पर भी निर्भर करता है।डब्लूएचओ ने यह भी कहा है कि फाइजर वैक्सीन की समीक्षा के इससे सुरक्षा और प्रभावकारिता के लिए अवश्य ही मानदंड मिलना चाहिए। WHO से पहले Pfizer-BioNTech की कोविड-19 वैक्सीन को ब्रिटेन,अमेरिका इजरायल, सऊदी अरब समेत कई देशों ने मंजूरी दी है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइजर की वैक्सीन असरदार है और इसके खास साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। इस वैक्सीन के दो डोज लेने के बाद कोरोना से मौत की संभावना भी लगभग खत्म हो जाती है। WHO ने कहा है कि हमने इस वैक्सीन को मंजूरी इसलिए दी है कि ताकी लोगों तक इसकी डोज जाने में देरी ना हो।

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