नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड देश में लोकतंत्र बचाने के लिए भारत की शरण
नई दिल्ली
पुष्प कमल दहल प्रचंड ने इस मामले में भारत से अपील की है। काठमांडू में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक धड़े को संबोधित करते हुए पुष्प कमल दहल ने कहा कि देश में लोकतंत्र की हत्या हुई है। नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड देश में लोकतंत्र बचाने के लिए भारत की शरण में हैं। उन्होंने कहा कि पीएम केपी शर्मा ओली के चलते देश में लोकतंत्र खतरे में है और हम ऐसे देशों से उसे बचाने की अपील कर रहे हैं, जो खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताते हैं। पुष्प कमल दहल ने खुले तौर पर भारत का नाम नहीं लिया, लेकिन सबसे बड़े लोकतंत्र की बात करके उन्होंने साफ इशारा जरूर किया है। दरअसल बीते साल 20 दिसंबर को केपी शर्मा ओली ने संसद भंग करने का फैसला लिया था। पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं।
खासतौर पर ऐसे देशों से जो खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताते हैं और जो लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करते हैं। इसके अलावा हम अपने पड़ोसियों से अपील करते हैं कि वे ओली के अलोकतांत्रिक फैसले के खिलाफ बोलें।' ओली की ओर से संसद भंग किए जाने के बाद से ही दहल और माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाला नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का धड़ा विरोध कर रहा है। सदन भंग किए जाने के दो दिन बाद ही कम्युनिस्ट पार्टी भी विभाजित हो गई थी और अब उसके किस गुट को वैधता प्रदान की जाए, यह मामला चुनाव आयोग के समक्ष लंबित है। दहल और नेपाल गुट का कहना है कि कम्युनिस्ट पार्टी पर उनका अधिकार है, जबकि ओली का कहना है कि पार्टी उनके साथ है। इसी सिलसिले में बुधवार को ओली के खिलाफ प्रचंड और माधव नेपाल गुट ने बड़ा प्रदर्शन किया था। अब शुक्रवार को भी यह गुट एक बड़ा प्रदर्शन करने वाला है। मंगलवार को भी पुष्प कमल दहल ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील की थी। हालांकि उनके गुट के किसी और नेता ने अब तक इस तरह की मांग नहीं की है।
ओली की ओर से संसद को भंग किए जाने के बाद से अब तक दो महीने का वक्त गुजर गया है। नेपाल के संविधान की जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह एक तरह से तख्तपलट जैसा था। इसके बाद भी अब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने खुलकर अपनी बात नहीं रखी है। इस मामले में प्रतिक्रिया देने वाला भारत पहला देश था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, 'नेपाल में हाल में हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर हमारी नजर है। यह उनका आंतरिक मामला है, जिसे उन्हें लोकतांत्रिक ढंग से हल करना चाहिए।'
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