रायपुर
धान खरीदी पर जारी सियासी दंगल दिन प्रतिदिन और बढ़ते जा रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार के बीच अब पार्टीगत स्तर पर भी बयानबाजी तेज हो गई है। पिछले साल राज्य सरकार 25 सौ रुपए क्विंटल पर धान खरीदी करने वाली एक मात्र राज्य थी। समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस के रूप में राशि प्रदान करने राजीव गांधी किसान न्याय योजना चला रखी है। दरअसल बवाल तब मचा जब राज्य में धान खरीदी शुरू हो गई लेकिन केन्द्र से कस्टम मिलिंग के लिए कोई दिशा निर्देश नहीं मिला था इस बीच मुख्यमंत्री ने स्वंय प्रधानमंत्री से बात की तब कहीं जाकर 24लाख मीट्रिक टन चावल खरीदने केन्द्र से स्वीकृति मिली। राज्य सरकार अब मांग कर रही है जो आश्वासन मिला था उस पर आगे की खरीदी में भी सहयोग प्रदान करें। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह के इस बयान से कि क्या केन्द्र से पूछकर राज्य सरकार ने 2500 रुपए की राशि तय की थी,फिर माहौल गरमा गया है।
जब एक महीने की खरीदी के बाद भी केंद्र सरकार ने एक दाना चावल भी सेंट्रल पूल में नहीं लिया। ऐसी हालत में राज्य के खरीदी केंद्रों पर धाम जाम हो गया और खरीदी प्रभावित हुई। अब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है, कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछकर धान का दाम प्रति क्विंटल 2500 रुपया देने की घोषणा की नहीं थी। अब वह केंद्र सरकार की मदद क्यों चाहती है। वहीं प्रदेश के वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री तथा राज्य सरकार के प्रवक्ता मोहम्मद अकबर ने कहा है, राज्य सरकार अपने बूते ही किसानों से धान खरीद रही है। केंद्र सरकार इसमें अडंगा न लगाए।
डॉ. रमन सिंह ने कहा, प्रदेश सरकार ने 2500रुपए में धान खरीदने की घोषणा केंद्र सरकार से तो पूछकर की नहीं थी। अब समर्थन मूल्य के अलावा किसानों को जो राशि प्रदेश सरकार दे रही है, वह योजना भी केंद्र सरकार से पूछकर नहीं बनाई थी। बोनस संबंधी केंद्र सरकार की नीति के बारे में इनको पहले से पता था। इसके बावजूद राज्य सरकार केंद्र के खिलाफ बयानबाजी कर रही है। रमन सिंह ने कहा, ऐसे बयानों से केंद्र की नीतियां नहीं बदला करतीं।
डॉ. रमन सिंह ने कहा, अब तो प्रदेश सरकार को अपना वादा पूरा करना चाहिए। ये लोग इधर-उधर की बातें बनाकर किसानों से किए वादे से बचने की कोशिश न करें। प्रदेश सरकार अपने वादे के मुताबिक 2500 रुपया प्रति क्विंटल की दर से किसानों का धान खरीदे। केंद्र सरकार अपनी ओर से यथासंभव इसमें सहयोग करेगी। डवन, आवास एवं परिवहन मंत्री व राज्य सरकार के प्रवक्ता मोहम्मद अकबर ने रमन सिंह के आरोपों पर तीखा पलटवार किया है। मोहम्मद अकबर ने कहा, इस मामले में कांग्रेस कोई राजनीति नहीं कर रही है। राजनीति और षड?ंत्र भाजपा का है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की सहमति दी थी। जब खरीदी शुरू हो गई तो केंद्र सरकार के रुख में परिवर्तन आया है।मोहम्मद अकबर ने कहा, हम हर हाल में किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल का मूल्य देंगे। कांग्रेस तो इसे स्वीकार कर रही है। उन्होंने कहा, पिछले साल समर्थन मूल्य 1815 रुपया प्रति क्विंटल की दर से खरीदी हुई। शेष 685 रुपए की राशि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए दी गई। उन्होंने कहा, राज्य सरकार अपने बूते ही धान खरीद रही है।
डा.रमनसिंह ने कहा है कि समितियों में धान जाम हो गया है। अफसरों और मुख्यमंत्री को समझ नहीं आ रहा है कि इस धान को लिफ्ट कर संग्रहण केंद्रों तक पहुंचाया जाना चाहिए। इन केंद्रों की क्षमता 35 लाख मीट्रिक टन है। अभी तक 02 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान संग्रहण केंद्रों तक नहीं पहुंचा है। हमारे शासनकाल में बफर लिमिट कभी 10 फीसदी से अधिक नहीं हुआ। आज बफर स्टॉक 66 फीसदी तक है।
इस बार 90 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का लक्ष्य है। केंद्र सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की सहमति दी थी। खरीदी शुरू होने के एक महीने बाद तक उन्होंने एक दाना चावल भी जमा करने की अनुमति नहीं दी थी। रविवार को 24 लाख मीट्रिक टन चावल के लिए अनुमति मिली है। चावल जमा होगा तो 2306 खरीदी केंद्रों से धान के उठाव में तेजी आएगी।
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