मध्य प्रदेश

दस्तक अभियान के साथ शत प्रतिशत आयुष्मान कार्ड बनाये-कलेक्टर

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श्योपुर
कलेक्टर राकेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में दस्तक अभियान के क्रियान्वयन हेतु जिला टास्क फोर्स की बैठक का आयोजन आज कलेक्टर कार्यालय श्योपुर के सभागार में किया गया है। बैठक में कलेक्टर राकेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा आयुष्मान कार्ड की समीक्षा की गई जो लक्ष्य 350000 के विपरीत 120000 कार्ड ही बने है। जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए निर्देश दिए कि बीएलई पंचायत के ग्रामों में प्रतिदिन जावेगें। जिसमें प्रतिदिन हितग्राहीयों के कार्ड बनवाये जिसकी रिपोर्ट से कलेक्टर कार्यालय को प्रतिदिन अवगत करावें।
    
बैठक में डिप्टी कलेक्टर विजेन्द्र यादव, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास ओपी पाण्डे, सीएमएचओ डाॅ बीएल यादव, दस्तक अभियान के नोडल अधिकारी डाॅ. प्रेमराज मीणा, सीएमओ नगरपालिका सुमिनी अग्रवाल, बीएमओ, सीडीपीओ एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
    
कलेक्टर राकेश कुमार श्रीवास्तव ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि दस्तक अभियान में जो दल घर-घर जाकर 0 से 5 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग के साथ-साथ प्र्रत्येक घर की यह भी जानकारी प्राप्त करे कि आपका आयुष्मान कार्ड बना है, कि नही, यदि नही बना है, तो उसका आयुष्मान कार्ड बनवायें। साथ ही सूची तैयार करवायें। इसी प्रकार सीएमएचओ को निर्देश दिये कि कराहल में ब्लड स्टोरेज यूनिट की स्थापना हेतु प्रस्ताव तैयार करके कलेक्टर कार्यालय को भेजा जावे। साथ ही दस्तक अभियान में शत प्रतिशत बच्चांे की देखभाल व उपचार किया जावे।
     
इसी प्रकार आॅगनवाडी कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों की सूची तैयार करें। साथ ही अभियान के तहत कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती करवायें। इसी प्रकार डीपीओ महिला एवं बाल विकास को निर्देश दिये कि एनआरसी खाली नही रहे। नियमित रूप से कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराते रहें।
    
बैठक में सीएमएचओ डाॅ बीएल यादव ने दस्तक अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग की संयुक्त टीमें घर घर जाकर 5 वर्ष तक के बच्चों में होने वाली बीमारी दस्तरोग, निमोनिया, बुखार, गंभीर एनीमिया के बच्चों की सक्रीय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन किया जावेगा। साथ ही विटामिन ए की दवा पिलाई जावेगी। इसी प्रकार डीपीएम डाॅ. सौमित्र बुधोलिया ने जानकारी दी कि ग्रहभेंट के दौरान छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण किया जावेगा। साथ ही जन्मजात विकृृती वाले बच्चों का भी चिन्हांकन किया जावेगा। जिससे जिन्हे आरबीएसके कार्यक्रम के तहत उपचार कराया जा सके।

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