टूलकिट केस में जेल गई दिशा रवि के सपोर्ट में आईं ग्रेटा थनबर्ग, कहा- शांतिपूर्ण प्रदर्शन मानवाधिकार और लोकतंत्र का हिस्सा
ओस्लो
टूलकिट मामले में गिरफ्तार दिशा रवि के समर्थन में अब पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग कूद पड़ी हैं। उन्होंने ट्वीट कर फिर से भारत को मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाने की कोशिश की है। अपने ट्वीट में स्टैंड विथ दिशा रवि के हैशटैग का प्रयोग करते हुए थनबर्ग ने फिर एक बार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर अपना ज्ञान बांटा है। दरअसल, आज ही दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की मांग को मंजूर करते हुए तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
मानवाधिकारों पर दिया 'ज्ञान'
ग्रेटा थनबर्ग ने Fridays For Future नाम के एक ट्विटर हैंडल के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि अभिव्यक्ति की आजादी, शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और जनसभा करना मानवाधिकार है। ये किसी भी लोकतंत्र का मूल हिस्सा होना चाहिए। फ्राइडे फॉर फ्यूचर की स्थापना ग्रेटा ने 2018 में की थी। इसी के ट्विटर हैंडल से दिशा रवि के समर्थन में कई ट्वीट किए गए थे जिसके बाद ग्रेटा ने भी अपनी आवाज उठाई है।
टूलकिट मामले में दिशा रवि की हुई थी गिरफ्तारी
किसानों के विरोध से संबंधित सोशल मीडिया पर ‘टूलकिट’ साझा करने और एडिट करने के आरोप में दिशा रवि को 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था। फिर उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। दिल्ली पुलिस ने प्रो-खालिस्तानी ग्रुप (पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन) और उसके सक्रिय सदस्यों की पहचान करने और हटाए गए व्हाट्सएप ग्रुप को फिर से प्राप्त करने के लिए हिरासत की मांग की थी।
कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग
ग्रेटा थनबर्ग को जलवायु संकट के खिलाफ लड़ाई में सबसे अग्रणी वक्ता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कई बार अपने भाषणों से लोगों को दिल जीता है। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी ट्विटर वॉर की भी खूब चर्चा हुई थी। दिसंबर 2020 में स्वीडन की इस 16 साल की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट को प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने 2019 का 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुना गया था।
ग्रेटा ने ट्वीट की थी विवादित टूलकिट
ग्रेटा थनबर्ग ने जो विवादित टूलकिट को ट्वीट किया था उसमें किसान आंदोलन को लेकर भारत को बदनाम करने की प्लानिंग की गई थी। इसमें समय-समय पर भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाले कई लोग परिवर्तन भी करते थे। दरअसल दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो भारत के अंदरूनी मामले का अंतराष्ट्रीयकरण कर बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। शाहीन बाग वाले मामने और सीएए-एनआरसी को लेकर भी ऐसा ही प्रयास किया गया था।
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