तेल अवीव
एनएसओ कंपनी के स्पाईवेयर (जासूसी सॉफ्टवेयर) पेगासस के बारे में सामने आई जानकारियों ने इस्राइल की छवि पर खराब असर डाला है। खास कर इस्राइल की ‘स्टार्ट अप नेशन’ की छवि धूमिल हुई है। एनएसओ जैसी कंपनियों के उदय के कारण ही ये छवि बनी थी। लेकिन अब ये साफ हो गया है कि पेगासस का इस्तेमाल दुनियाभर में नेताओं, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सरकार विरोधी समूहों की जासूसी के लिए किया गया। अब सामने आ रही रिपोर्टों में कहा गया है कि साइबर जासूसी के लिए एनएसओ अकेले जिम्मेदार नहीं है। बल्कि वह इस्राइल के पूरे तंत्र का सिर्फ एक हिस्सा है।
एनएसओ कंपनी का कहना है कि इस बात पर उसका नियंत्रण नहीं रहता कि उससे स्पाईवेयर खरीदने वाले देश उसका इस्तेमाल किसके खिलाफ करेंगे। कंपनी का यह भी दावा है कि जब उसे उसके स्पाईवेयर के दुरुपयोग की खबर मिलती है, तो वह बिक्री का करार रद्द कर देती है। लेकिन मीडिया और मानवाधिकार संगठनों के जिस अंतरराष्ट्रीय समूह ने पेगासस जासूसी कांड का खुलासा किया है, उससे कई गंभीर मामलों में इस स्पाईवेयर के दुरुपयोग की बात सामने आई है। जबकि ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया, जिससे यह मालूम पड़े कि एनएसओ ने कोई करार दुरुपयोग के आधार पर रद्द किया हो।
इसीलिए एनएसओ कंपनी के साथ-साथ इस्राइल सरकार की भूमिका भी संदिग्ध हुई है। विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में इस्राइल का आज वर्चस्व है। ये वर्चस्व खुद और अचानक नहीं बना। बल्कि इसके लिए वहां की खुफिया एजेंसियों की योजना के मुताबिक काम हुआ। इनमें इस्राइल की कुख्यात खुफिया एजेंसी मोसाद भी शामिल है।
विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि इस्राइल में अनिवार्य सैनिक सेवा के प्रावधान के कारण बड़ी संख्या में नौजवान विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के पहले साइबर सुरक्षा ओर साइबर युद्ध के क्षेत्र में काम करने चले जाते हैं। तेल अवीव स्थिति एकेडमिक कॉलेज में साइबर सुरक्षा अध्ययन विभाग के प्रमुख ताल पावेल के मुताबिक सैन्य तकनीक में इस्राइल की बढ़त के पीछे अनिवार्य सैन्य सेवा के प्रावधान की बड़ी भूमिका है।
बताया जाता है कि इस्राइली सेना की एक खुफिया इकाई- यूनिट 8200 है, जिसकी हाईटेक उपकरण बनाने में बड़ी भूमिका है। साइबर जासूसी की तकनीक विकसित करने में भी उसकी अहम भूमिका मानी जाती है। पावेल ने सीएनएन से कहा- ‘इस्राइल में एक खास बात साइबर उद्योग और बाकी उद्योगों के बीच कायम हुआ तालमेल है।’ दूसरे विशेषज्ञों ने भी ध्यान दिलाया है कि इस्राइल में आम उद्योग, रक्षा उद्योग, खुफिया तंत्र और सरकार मिलजुल कर काम करते हैं। इसीलिए 2009 में स्थापित हुई कंपनी एनएसओ की जो जिम्मेदारी ताजा विवाद में मानी जा रही है, उससे सरकार बिल्कुल पल्ला नहीं झाड़ सकती।
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