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चीनी मीडिया का अमेरिकी संसद में हिंसा पर तंज, कहा- लोकतंत्र और स्वतंत्रता का बुलबुला फूट गया

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पेइचिंग
अमेरिकी संसद में गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप समर्थकों के हिंसा की पूरी दुनिया ने एक सुर में निंदा की। दुनियाभर को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका में हिंसा की तस्वीरें स्तब्ध करने वाली हैं। अमेरिका में जो कुछ भी हुआ उसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दुनियाभर के राजनेताओं ने दुख और चिंता जाहिर किया। विश्वभर की मीडिया में अमेरिकी संसद पर हुआ हमला छाया रहा। इस बीच चीनी मीडिया

चीनी मीडिया ने बताया कर्मों का फल
ट्रंप का दुश्मन नंबर एक कहे जाने वाले चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि अमेरिका में जो कुछ हुआ, वो उसके ही कर्मों का फल है। इससे अमेरिका के लोकतंत्र और स्वतंत्रता का बुलबुला फूट गया होगा। चीनी मीडिया ने लिखा कि इस हिंसा में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी का ऑफिस भी दंगाइयों के साथ झड़प में तहस-नहस हो गया।

हॉन्ग कॉन्ग को लेकर कसा तंज
चीन के सोशल मीडिया यूजर्स के पोस्ट का हवाला देते हुए ग्लोबल टाइम्स ने कटाक्ष किया कि चीन के लोगों को हॉन्ग कॉन्ग की विधान परिषद में हुई तोड़फोड़ अब भी याद है। जब उन्होंने दंगाइयों को विधान परिषद परिसर में हंगामा करते हुए, वहां लगे गुए भित्तिचित्रों, वस्तुओं, मेज, कुर्सियों को तोड़ते हुए और लूटते हुए देखा था। इस हिंसा की अमेरिकी राजनेताओं ने तब निंदा करने के बजाए सराहना की थी। पश्चिमी मीडिया ने दंगाइयों के संयम की प्रशंसा की थी जबकि हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने इसे एक 'सुंदर दृश्य' बताया था।

'सुंदर दृश्य' का आनंद लें अमेरिकी राजनेता
ग्लोबल टाइम्स ने तंज कसते हुए कहा कि अब यह 'सुंदर दृश्य' अमेरिका में हो रहा है। चीन के एक नेता के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि नैंसी पेलोसी अब इस सुंदर दृश्य का आनंद ले सकती हैं। यहां तक कि अपने ऑफिस के डेस्क पर भी। अमेरिकी राजनेताओं ने दूसरे देशों में दंगाइयों को 'स्वतंत्रता सेनानी' कहा है। अब, उनका प्रतिशोध पूरा हुआ है।

चीन-अमेरिका के बीत तनाव का लंबा इतिहास
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अमेरिका का चीन के साथ संबंध लगातार कड़वाहट भरे रहे। ट्रेड वॉर, हॉन्ग कॉन्ग, तिब्बत, ताइवान, साउथ चाइना सी, लद्दाख समेत कई ऐसे मुद्दे रहे जिसे लेकर अमेरिका और चीन के बीच घमासान लगातार बढ़ता ही गया। इस समय भी चीन का घेराव करने के लिए अमेरिकी सेना जापान, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और भारत समेत कई देशों के साथ रक्षा संबंधों को बढ़ा रही है।
 

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