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चमोली आपदा: चीन सीमा को जोड़ने वाला पुल तबाह, तुरंत भेजी गई ITBP और सेना की स्पेशल टीम

चीन
उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर फटने से भारी तबाही मची। इस आपदा की तुलना 2013 के केदारनाथ आपदा से की जा रही है। खबर ये भी है कि घटना से ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा और करीब 150 लोग लापता बताए जा रहे हैं। वहीं घटना के बाद धौलीगंगा नदी का जलस्तर काफी बढ़ा, जिससे मलारी को जोड़ने वाला पुल बह गया। ये पुल स्थानीय लोगों के साथ भारतीय सेना के लिए भी काफी अहम है। चीन सीमा को जोड़ता था पुल जानकारी के मुताबिक ग्लेशियर टूटने के बाद मलारी को जोड़ने वाला पुल बह गया। इसी पुल के जरिए भारतीय सेना और ITBP के जवान चीन से लगती सीमाओं तक जाते हैं। घटना के तुरंत बाद सेना और ITBP हरकत में आई। इसके बाद गोचर से एक बड़ी टीम को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया गया। इसमें पर्वतारोहियों के साथ ब्रिज बनाने वाले इंजीनियर भी शामिल हैं। 

इसके अलावा 200 ITBP जवानों को जोशीमठ और तपोवन के रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया गया है। बाढ़ की आशंका कम ग्लेशियर फटने के बाद से धौलगंगा नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था। इसके बाद हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून समेत निचले इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया। आशंका जताई जा रही थी कि जब ग्लेशियर का मलबा गंगा में मिलेगा तो निचले इलाके में बाढ़ आ सकती है। मामले में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि कर्णप्रयाग में रविवार दोपहर 3:10 बजे पानी के बहाव की मॉनिटरिंग की गई। जिससे साफ हुआ कि बाढ़ की संभावना बहुत ही कम है, लेकिन फिर भी प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है। 

अब तक कितनी मौतें? स्थानीय प्रशासन के मुताबिक ये घटना रविवार सुबह करीब 9:30 बजे की है, जब तपोवन इलाके में ग्लेशियर फटा। इसके बाद अलकनंदा और धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई। जिसमें ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा। साथ ही वहां पर काम कर रहे करीब 150 लोग लापता बताए जा रहे हैं। खबर लिखे जाने तक रेस्क्यू टीम ने 10 शवों को बरामद कर लिया है। साथ ही तपोवन टनल में फंसे 15-20 लोगों को बचाने का काम जारी है।  

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